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पोलियो से हारी नहीं, मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग पद असिस्टेंट डायरेक्टर राजपत्रित अधिकारी पर चयन होकर दिखाई राह


जो कल घुटनों के बल स्कूल जाती थी, वह आज सैकड़ों लोगों को राह दिखा रही है।”


पोलियो से हारी नहीं, मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग पद असिस्टेंट डायरेक्टर राजपत्रित अधिकारी पर चयन होकर दिखाई राह

अपने गुरु बाबा सत्य साई ( पुट्टपर्थी ) की कृपा मानती है कि मुझे पवन पुत्र हनुमानजी महाराज की भक्ति मिलीं , और उन्हीं की कृपा - दया से सबकुछ है! ।

बनखेड़ी / धर्मेंद्रशर्मा
अंकिता गोस्वामी ( वैष्णव) ने साबित किया — कहते हैं न कि " मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है"

ये पंक्तियाँ सार्थक होती है अंकिता के जीवन से !

भोपाल। "ईश्वर जब परीक्षा लेता है, तो जमाना भी सवाल करने लगता है, लेकिन जो भीतर से मजबूत होता है, वह हर कसौटी पर खरा उतरता है।" नर्मदापुरम जिले के बनखेड़ी गांव की अंकिता की जिंदगी इसी उक्ति का साक्षात प्रमाण है। जन्म से पोलियोग्रस्त होने के बावजूद उन्होंने न सिर्फ सामान्य जीवन जिया, बल्कि पीएससी परीक्षा में चयनित होकर हजारों युवाओं के लिए मिसाल बन गईं।

बचपन से ही कठिनाइयों की शुरुआत

21 अक्टूबर 1989 को
पुष्पा - राजेन्द्र पुरी गोस्वामी के घर जन्मी अंकिता का जीवन शुरुआत से ही संघर्षों से भरा रहा। जन्म के कुछ ही समय बाद डॉक्टरों ने बताया कि अंकिता पोलियो से ग्रसित हैं। एक माता-पिता के लिए यह खबर जितनी भावनात्मक थी, एक बेटी के लिए जीवन की पहली चुनौती थी। परिवार वाले चिंतित थे — इस बच्ची का भविष्य कैसे बनेगा? लेकिन ईश्वर को शायद कुछ और ही मंजूर था।

घुटनों के बल स्कूल जाना, फिर भी नहीं टूटी

अंकिता की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर, नगवाड़ा - बनखेडी में हुई। चूंकि वह चल नहीं सकती थीं, इसलिए हाथ और घुटनों के बल चलकर स्कूल जाया करती थीं। — लेकिन अंकिता ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने छोटी उम्र में ही यह समझ लिया था कि अगर समाज का रवैया बदलना है, तो खुद को मजबूत बनाना होगा।

10वीं में जिला टॉपर बनीं, बना नया रिकॉर्ड

अंकिता पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहीं। उन्होंने 10वीं की परीक्षा में नर्मदापुरम जिले की प्रवीण सूची में स्थान प्राप्त कर अपने गांव, स्कूल और परिवार का नाम रोशन किया। यह सिर्फ एक अकादमिक उपलब्धि नहीं थी, यह समाज को दिया गया संदेश था कि "शरीर से नहीं, मन से मजबूत बनो।"

ऑपरेशन (दोनों पैरों) के बाद बिस्तर पर भी नहीं रुकीं.....

11वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान डॉक्टरों ने उनके पैरों का ऑपरेशन किया। ट्रेन अस्पताल मे लंबा और दर्दनाक इलाज हुआ। डॉक्टरों ने उन्हें आराम की सलाह दी, जब इतनी सुविधाएं भी नहीं थी , महीनों तक बिस्तर पर रहीं। लेकिन इस कठिन समय में भी उन्होंने हार नहीं मानी। कक्षा 11 वीं की पढ़ाई घर से की परीक्षा दी पास हुए ,पैरों में कैलीपर्स पहने चलने की कोशिश की पर जीत ना मिली , वापिस पढ़ाई में लौटी 12 वीं पास की फिर भोपाल से IIT -JEE AIEEE PET,की तैयारी की ।अब भगवान ने उसकी इस मेहनत को उस सही दिशा में मोड़ दिया एवं मध्य प्रदेश के सबसे टॉप कॉलेज SGSITS indore में दाखिला दिलाया ।उस समय का टॉप मोस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज समय एवं पढ़ाई में बहुत स्ट्रीक जहां एमपी के सभी जिलों से आए टॉपर्स के साथ पढ़ना था एवं हर क्लास ,लेब ,प्रैक्टिकल ,परीक्षा दोनों हाथों एवं घुटने से चलकर जाना उनके लिए किसी जंग से कम नहीं थी ,इस समय में घर वालों ने भी हार नहीं मानने दी हमेशा साहस दिलाया ।कॉलेज के दौरान छुट्टियां में घर आना जाना भी वो ट्रेन से स्वयं करती थी ।कॉलेज में हर एक्टिविटी में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना जैसे उसकी आदत थी चेहरे पर हमेशा मुस्कान एवं सकारात्मक सोच हर किसी को आपकी ओर आकर्षित कर लेती।
वर्ष 2013 में इंजीनियरिंग सर्विसेस एवं गेट की तैयारी मेड ईजी संस्थान भोपाल से की, तथा फिर नई चुनौतियों से सामना किया 8 से 9 घंटे क्लास में लगातार बैठना एवं पढ़ाई करना । गेट क्वालीफाइड किया एवं manit भोपाल mtch हेतु मिला तब मंजिल थोड़ी पास दिखने लगी , सेल्फ dependent आठ हजार रु महीने stifund प्राप्त करते हुए पढ़ाई की ।2014 में ऊर्जा विभाग के विद्युत निरीक्षकालय में उपयत्री के पद पर नियुक्ति हुए । कार्य के साथ साथ हमेशा से मन में रहता था मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं क्लीयर करना एवं आगे ओर पढ़कर कुछ अच्छा करने का ।इसमें बहुत समस्याएं आई ,हर समय नया चेलेंज लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी । उनकी प्रथम नियुक्ति में समय तक उनके पास व्हील चेयर नहीं थी ऑफिस में आने के बाद सबने बोला अब आप व्हील चेयर से आए दोनों हाथ से इसे न चले ।आज उनकी मेहनत एवं भगवान के आशिवाद के वो स्वयं कार ड्राइव करती एवं ऑटो मेटिक व्हीलचेयर चलती है ।

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की तैयारी कर शासकीय सेवा में चयन
नौकरी ,के साथ अंकिता ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग परीक्षा की तैयारी शुरू की जिसमें प्रेरणा के स्रोत रहे उनके पार्टनर ,हमसफर प्रदीप कुमार जी । इन्होंने कभी भी इस मुकाम से हटने नहीं दिया ।बौद्धिक रूप से पहले से मजबूत अंकिता ने अपनी मेहनत से मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण कर assistant director class 2 पद हासिल किया जो उनके परिवार बल्कि पूरे जिले एवं मध्य प्रदेश के लिए गर्व का विषय हैं।

शादी के बाद भी कायम रखा संतुलन

अंकिता का विवाह भारतीय सेना से सेवानिवृत्त प्रदीप कुमार से हुआ। उनके परिवार में एक बेटी भी है — आध्या(साई प्रिया) , जो आज अपनी मां को बहुत स्नेह करती है । अंकिता ने घरेलू जिम्मेदारियों और नौकरी के बीच अद्भुत संतुलन बनाकर यह भी दिखा दिया कि महिलाएं किसी भी मोर्चे पर पीछे नहीं हैं।

युवाओं के लिए आदर्श, समाज के लिए प्रेरणा

आज के समय में जब युवा छोटी असफलताओं से घबरा जाते हैं, तब अंकिता की कहानी यह सिखाती है कि — अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए, तो कोई भी शारीरिक बाधा रास्ता नहीं रोक सकती। पोलियो जैसी गंभीर शारीरिक समस्या के बावजूद अंकिता ने जो मुकाम हासिल किया है, वह साधारण नहीं है।

उनका संघर्ष उन अभिभावकों के लिए भी प्रेरणास्रोत है, जो अपने शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। अंकिता ने यह साबित किया है कि हौसला हो तो तकदीर भी झुक जाती है।

प्रशासन, समाजसेवी और शिक्षकों ने दी बधाई

अंकिता गोस्वामी के पीएससी में चयनित होने की खबर जब सामने आई, तो उनके गांव, स्कूल और जिले भर में बधाइयों का तांता लग गया। उनके शिक्षकों, रिश्तेदारों, और प्रशासनिक अधिकारियों ने इस उपलब्धि पर उन्हें शुभकामनाएं दीं। कई सामाजिक संगठनों ने भी उन्हें सम्मानित करने की घोषणा की है।
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“अंकिता की सफलता उन लाखों लड़कियों को यह हौसला देती है कि संघर्ष चाहे जितना भी बड़ा हो, हिम्मत कभी नहीं हारनी चाहिए। जो कल घुटनों के बल स्कूल जाती थी, वह आज सैकड़ों लोगों को राह दिखा रही है।”

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