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अन्न की बेकद्री आधुनिक शिक्षा सम्पन्नता के नाम पर बेवकूफी अंहकार व नासमझी

चंडीगढ़ बृहस्पतिवार 04 दिसम्बर 25 अल्फा न्यूज़ इंडिया प्रस्तुति ---- कलम और कैमरा समाज का आइना है। आइने की तस्वीरें एजुकेशन मार्डनलाइजेशन का विकृत चेहरा दिखा रहीं हैं। ये तस्वीर सिर्फ एक टेबल नहीं,इंसानों के बदलते संस्कारों, भौंडे आधार हीन विचारों का आइना है। अपनी जेब से पैसा जाए, तो लोग दाना तक नहीं छोड़ते। और जहाँ मुफ्त मिले… वहाँ इंसानियत तक फिसल जाती है। अन्न की कद्र नहीं रही…बस आदतें बिगड़ चुकी हैं.थोड़ी सी शर्म साथ ले आते तो ये टेबल भी इतना अपमानित न होता। और इंसानियत भी इतनी सस्ती न लगती...ये खाने की बर्बादी है या लोगों की परवरिश का सच..जिस किसान ने अपने खून पसीना और मेहनत से अपनी खेती में इसको उगाया है। इस अनाज की फसल पकाने के लिए रात दिन एक किया। खून पसीना एक किया। आज उसी अनाज को किस प्रकार बर्बाद किया जाता है यह अन्नदाता और अन्न का घोर अपमान है। और धन की मस्ती की निशानी है...!* इसे रोकने के लिए हर इन्सान को सोचना पडेगा.* चिंतन करें,,,,विचारों का मंथन करें_एक बाप ने इसी दिन के लिए पाई पाई जोड़ी थी। किसी को एक वक्त की रोटी नसीब नहीं तो किसी को फेंकने के लिए कमी नहीं_*उतना ही लें थाली में,,,,,,,जो व्यर्थ न जाए नाली में*llll

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