
“देशद्रोह में ‘करियर’ और सवर्णों को गाली में ‘नेतागिरी’—भारत का नया लोकतांत्रिक मॉडल लॉन्च!”
भोपाल।✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से:
कभी देशद्रोह करना ‘करियर ग्रोथ’ का शॉर्टकट माना जाता था। कोर्ट में खड़े होकर आरोपी बड़े गर्व से कहता—“हाँ जज साहब, पाकिस्तान ज़िंदाबाद भी मैंने ही बोला, सेना का अपमान भी मैंने ही किया, सरकारी संपत्ति भी मैंने ही फूँकी।” और जज बेचारगी में पूछता—“क्यों भाई?”तो आरोपी मुस्कुराकर जवाब देता—“क्योंकि ऐसा करते ही मैं गुमनाम से महान बन गया… नेता, पत्रकार, एक्टिविस्ट सब मेरे पैरों में गिरने लगे!” लेकिन समय बदल गया है, देश की राजनीति का रंग-ढंग बदल गया है।
अब देशद्रोह बोलने से नेता नहीं बनते,अब अगर रातों-रात नेता बनना है तो फार्मूला बदल चुका है—
**■ नया फार्मूला:“दिन-रात ब्राह्मण, बनिया, राजपूत, कायस्थ, सिंधी को गाली दो और नेता बन जाओ!”**
आज सोशल मीडिया का आधा ट्रैफिक सिर्फ एक ही चीज़ पर टिका है—सवर्णों को गाली देना। क्योंकि ये वर्ग प्रतिकार नहीं कर सकता, बोले तो अपराधी, चुप रहे तो “आसान निशाना” क्योंकि इस देश में आतंकवादी की सुनवाई हो सकती है,पर यदि किसी ने ग़लती से भी किसी विशेष वर्ग पर टिप्पणी कर दी,तो सीधे SC/ST Act में मामला—ना जमानत, ना सुनवाई, ना तर्क—सीधे जिंदगी बर्बाद।
■ सोशल मीडिया का नया “बिजनेस मॉडल”
– सवर्णों को गाली दो
– रातों-रात वायरल
– दो दिन में “भीम सेना का नेता”
– चार दिन में “सोशल जस्टिस आइकॉन”
– और अगले महीने चुनाव का टिकट
सबसे मज़ेदार बात—भले देश जल जाए, सिस्टम सड़ जाए, लोग लड़ जाएँ—पर सरकार कुछ नहीं बोलेगी…क्योंकि वोट बैंक ज़्यादा महत्वपूर्ण है, देश नहीं।
■ देश बारूद के ढेर पर… और सरकार ईयरप्लग लगाकर सोई है: आज हालात ऐसे हैं कि पूरा देश एक बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है।कब कौन-सी चिंगारी इस ढेर को जला देगी, कोई नहीं जानता। समाज का एक बड़ा वर्ग सालों से अपमान सह रहा है,पर सरकार—मौन।बिल्कुल मौन। क्योंकि बोलने से वोट बैंक नाराज़ हो जाएगा।
**■ लोकतंत्र का गिरता स्तर:कन्हैया-उमर मॉडल से “गाली मॉडल” तक**पहले देशद्रोह बोलकर नेता बनते थे,अब सवर्णों को गाली देकर।अगला स्टेप क्या होगा—ये सोचकर भी डर लगता है।
**■ सरकार से उम्मीद?
व्यर्थ। बिल्कुल व्यर्थ।**जो सरकारें वोट बैंक के डर से– समाज का वर्गीय अपमान सुनकर भी मौन रहती हों
– सोशल मीडिया में फैलती नफरत देखकर भी चुप रहती हों
– न्याय और कानून को एकतरफा बना कर रख दें
उन्हीं सरकारों से न्याय की उम्मीद करना, ठीक वैसा ही है जैसे आग से उम्मीद करना कि वो घर बचा लेगी।भारत आज उस मोड़ पर खड़ा है जहाँ नफरत नेता बनाती है, और चुप्पी सरकार को बचाती है।बाकी देश—वो तो बस भगवान भरोसे चल रहा है।