
पंचायतीराज अधिनियम के अनुसार , बिहार पंचायत चुनाव 2026 में दशकों से दखल कुर्सी होगी खाली ....
बिहार में वर्ष 2026 में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत आम चुनाव कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं क्योंकि इस बार पूरे राज्य में पंचायतों के सभी पदों पर आरक्षण चक्र पूरी तरह से बदलने जा रहा है पंचायतीराज अधिनियम के अनुसार किसी भी आरक्षित पद का रोस्टर दो लगातार आम चुनावों की बाद बदलना अनिवार्य है ।
2016 और 2021 में एक ही आरक्षण रोस्टर लागू रहा है जिसके कारण कई पदों पर एक ही वर्ग के प्रत्याशियों को लगातार दो बार अवसर मिल चुका है लेकिन अब 2026 के चुनाव में ये रोस्टर पूरी तरहां से बदलने जा रहा है और इसके साथ ही उन सभी पदों से आरक्षण समाप्त हो जाएगा ।
जहां 2016 और 2021 में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग या फिर महिला वर्ग का आरक्षण लागू था इस परिवर्तन से ग्रामीण राजनीति में नए समीकरण बनेंगे और कई वर्षों से सुरक्षित सीटों पर काबिज नेताओं की स्थिती प्रभावित होगी बतादें कि नया आरक्षण 2011 की जनगणना के आधार पर तयार किया जाएगा।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उनकी कुल जनसंख्या की अनुपात में आरक्षण मिलेगा ।
उदाहरण के लिए यदि किसी क्षेत्र में SC या ST की आबादी 25 प्रतिशत हैं तो वहां के 25 प्रतिशत पद उसी कोटी के लिए आरक्षित रहेंगी इसके अतरिक्त शेष पदों में शत प्रतिशत सीटे सुरक्षित रहेंगी जिससे महिला सशक्तिकरण की प्रक्रिया और मजबूत होगी आरक्षण का रोस्टर तैयार करने की प्रक्रिया भी स्पष्ट रूप से निर्धारण की गई है ।
जिला स्तर पर जिला अधिकारी DM पूरे आरक्षण रोस्टर को अंतिम रुप में अब पंचायत समिति के सदस्यों का आरक्षण पूरे प्रखंड के कुल पदों के अनुसार मे निर्धारित किया जाएगा प्रखंड प्रमुख की सीट पूरे जिले की कुल पंचायत समितियों के 50 प्रतिशत की आधार पर पर तय होगा ।
इस बार आरक्षण में होने वाला यह बड़ा परिवर्तन कई नेताओं और राजनीतिक परिवारों की चुनावी योजनाओं पर सीधा असर डालेगा जहां एक दशकों से सुरक्षित चल रही सीटे अब सामान्य हो सकती है वहीं सामान्य सीटे आरक्षित वर्ग में चली जा सकती है इसे नए चेहरे चुनावी मैदान में उतरेंगे और कई क्षेत्रों में सकता का समिकरण बिल्कुल बदल सकता है बतादें के आने वाले महीनों में जैसे-जैसे रोस्टर जारी होगा ग्रामीण राजनीति में नई चर्चा नई रणनीति और नई प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है बिहार पंचायत चुनाव 2026 इसलिए केवल एक चुनाव नहीं बल्कि पंचायत राजनीति में नई अध्याय की शुरुआत साबित हो सकता है।