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इटालियन काँग्रेस द्वारा भारतीय संघी परिवार को नेस्तनाबूद की कहानी,

राबर्ट वाड्रा के पिता राजेंद्र वढ़ेरा थे।
मुरादाबाद में पीतल के बर्तनों की दुकान थी उन्होंने एक विदेशी महिला मोरीन मैकडोना से विवाह करने के लिए ईसाई धर्म अपना लिया इसलिए उनके परिवार वालों ने उनसे रिश्ते तोड़ लिए।
उनका परिवार पुराना संघी था उनके पिता और बड़े भाई पाकिस्तान बनने से पहले से ही संघ के सक्रिय सदस्य थे देश विभाजन के बाद वो मुल्तान से मुरादाबाद आ कर बस गए।
और मुरादाबाद में पीतल का अच्छा व्यापार जमा लिया राजेन्द्र वढ़ेरा के बड़े भाई ओम प्रकाश वढ़ेरा ने मुरादाबाद शहर में अपनी जमीन सरस्वती शिशु मंदिर के लिए दान कर दिया था।
जब राजेन्द्र वढ़ेरा ने ईसाई महिला से विवाह कर लिया तो घर वालों ने रिश्ता तोड़ लिया ऐसे में वो अकेले ही बिजनेस संभाल रहे थे व्यापार भी छोटा हो गया था।
राजेन्द्र वढ़ेरा को मौरीन से तीन बच्चे हुए।
बेटे रिचर्ड और राबर्ट और बेटी मिशेल ।
ये सभी दिल्ली के ब्रिटिश स्कूल में पढ़ते थे।

जब राबर्ट वढेरा ने प्रियंका गांधी से विवाह कर लिया तो गांधी परिवार ने मजबूर किया कि वह अपने मां बाप भाई बहन से रिश्ते तोड़ लें क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि कोई गांधी परिवार के नाम का इस्तेमाल करें।
दिल्ली के एक वकील अरूण भारद्वाज ने दिल्ली के दो अखबारों में विज्ञापन दिया कि मेरे मुवक्किल श्री राबर्ट वाड्रा का अपने पिता राजेंद्र वढ़ेरा और भाई रिचर्ड वढ़ेरा से कोई लेना-देना संबंध नहीं है।

दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के लेटर पैड पर देश के सभी कांग्रेस मुख्यमंत्रियों प्रदेश कांग्रेस कमेटियों एवं कांग्रेस विधानमंडलों को सोनिया गांधी की तरफ से पत्र भेजा गया जिसमें कहा गया कि मुरादाबाद के हमारे समधी राजेन्द्र वढ़ेरा और प्रियंका गांधी के जेठ रिचर्ड वढ़ेरा को कोई लाभ न पहुंचाया जाए उनकी किसी शिफारिश पर अमल नहीं किया जाए।

राबर्ट वाड्रा ने सबसे संबंध तोड़ लिए लेकिन अपनी मां मौरीन से संबंध तोड़ने से इंकार कर दिया उनको दक्षिण दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में एक बंगला देकर नजरबंद कर दिया गया।
उनको वीआईपी मानते हुए एसपीजी सुरक्षा दी गई जिस पर करोड़ों रुपए खर्च होते थे सुरक्षा व्यवस्था 13 साल तक जारी रही मोदी सरकार बनने के बाद ही हटाई गई मौरीन आज़ भी उसी बंगले में रहती हैं और उम्र लगभग 80 साल है।

राबर्ट की सगी बहन मिशेल की एक कार दुर्घटना में 2001 में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई इसके कुछ दिनों बाद 2003 में राबर्ट के भाई रिचर्ड ने पंखे से लटककर जान दे दी इन मौतों की कभी कोई जांच नहीं हुई।

अपने सारे परिवार को खोकर राजेन्द्र वढ़ेरा गुमनामी में जीने लगे उनको लिवर सिरोसिस नाम की बीमारी हो गई उनका इलाज दिल्ली के सरकारी सफदरजंग अस्पताल के जनरल वार्ड में हुआ कुछ दिन बाद डिस्चार्ज होकर अस्पताल के नजदीक एक सस्ते लॉज में रहने लगे 2009 में एक दिन वो पंखे से लटके पाए गए उनके जेब में एक दवाई की पर्ची और दस रूपए का नोट था।
इस मौत की भी कोई जांच नहीं हुई।

पुलिस जब लाश को ले जाने लगी तो राज के मालिक ने तीन दिन का किराया इसलिए माफ कर दिया क्योंकि वह प्रियंका गांधी के ससुर थे राजेंद्र वढ़ेरा का अंतिम संस्कार कर दिया गया जिसमें सिर्फ सोनिया गांधी प्रियंका गांधी और राहुल गांधी शामिल हुए बाकी सब को सुरक्षा कारणों से रोक दिया गया राबर्ट वाड्रा तो पहले ही सार्वजनिक रूप से अपने पिता से संबंधों को तोड़ चुके थे।

गांधी परिवार ने वढ़ेरा परिवार की पूरी उपेक्षा की लेकिन राबर्ट वाड्रा को पूरा सम्मान दिया उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के बराबर का वीआईपी सुविधा और सुरक्षा दी जबकि वह किसी सैंवधानिक पद पर नहीं था जिस राबर्ट वाड्रा को पड़ोसी तक नहीं जानते थे उसने मात्र कुछ महीनों में करोड़ों अरबों की संपत्ति बना ली कई कंपनियों का मालिक बन गया सैकड़ों एकड़ कीमती जमीनें हथिया ली ।
अब राजेन्द्र वढ़ेरा के परिवार में पुत्र राबर्ट वाड्रा पोता रेहान वाड्रा पोती मिराया वाड्रा बचे हैं और इन बच्चों की दादी मौरीन मैकडोना हैं जिनका होना ना होना एक बराबर है।

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