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आभा भसीन आतंकी

क्या इसीलिए UAPA का विरोध करती थी कश्मीर टाइम्स की एडिटर आभा भसीन? SIA की छापेमारी में हथियारों की बरामदगी: अब देश विरोधी गतिविधियों में दर्ज हुआ केस

ऑपइंडिया
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कश्मीर टाइम्स का कार्यालय और उसकी एक्क्यूटिव एडिटर आभा भसीन (फोटो साभार- X-@AdityaRajKaul/outlook india)
19 नवंबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने कश्मीर टाइम्स के जम्मू कार्यालय पर छापा मारा। यह कार्रवाई आतंकी फंडिंग, ‘राष्ट्रविरोधी’, जिहादी विचारधारा को बढ़ावा देने और ‘अलगाववादी गतिविधियों’ की जाँच के तहत की गई।

इसके बाद कश्मीर टाइम्स से जुड़े लोगों समेत एग्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन के खिलाफ कठोर गैरकानूनी गतिविधियाँ (निवारण) अधिनियम- UAPA के तहत FIR दर्ज की है।

अधिकारियों के अनुसार, दर्ज FIR में अनुराधा पर आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया था। ऑफिस की तलाशी के दौरान एक रिवॉल्वर, खाली और भरी हुई AK-सीरीज की गोलियाँ, चली हुई गोलियाँ, संदिग्ध पिस्तौल कारतूस, ग्रेनेड के सेफ्टी लीवर, डिजिटल उपकरण और दस्तावेज बरामद किए गए।

कश्मीर टाइम्स की मैनेजिंग एडिटर अनुराधा भसीन ने इसे ‘स्वतंत्र पत्रकारिता को डराने, बदनाम करने और चुप कराने की कोशिश’ बताया। यह अखबार 1954 में उनके पिता वेद भसीन ने स्थापित किया था। 2021-22 में लगातार निशाना बनाए जाने के बाद इसका प्रिंट संस्करण बंद कर दिया गया।

अनुराधा भसीन और कश्मीर टाइम्स पर आरोप है कि वे ‘स्वतंत्र पत्रकारिता’ के नाम पर एंटी इंडिया प्रोपेगेंडा चला रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार वेद भसीन द्वारा स्थापित और अब उनकी बेटी अनुराधा भसीन की ओर से चलाया जा रहा यह अखबार पहले भी विवादों में रहा है। 2020 में इसका श्रीनगर कार्यालय सील कर दिया गया था।

जम्मू-कश्मीर सरकार ने कश्मीर टाइम्स को दो संपत्तियाँ आवंटित की थीं। एक कार्यालय के लिए और दूसरी वेद भसीन के निवास के लिए। 2015 में वेद भसीन की मृत्यु के बाद प्रशासन ने परिवार को आवास खाली करने का नोटिस दिया। अनुराधा भसीन ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने अखबार का श्रीनगर कार्यालय ‘गैरकानूनी तरीके से बंद’ कर दिया।

इसके बाद 2023 में इसका डिजिटल संस्करण शुरू किया गया। भसीन और सह-संपादक और अनुसार अनुराधा के पति प्रबोध जम्वाल ने यह आरोप खारिज किया कि अखबार राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देता है या अलगाववादी नैरेटिव चलाता है। असल में, यह अखबार कश्मीर के दोनों हिस्सों (LoC से अलग हुए हिस्से) की रिपोर्टिंग करता है और पाकिस्तान-प्रशासित हिस्से पर भी सवाल उठाता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनुराधा इस समय अमेरिका में हैं। SIA ने अनुराधा भसीन और उनके अखबार कश्मीर टाइम्स पर आरोप लगाया है कि वे जम्मू-कश्मीर के आसपास के इलाकों में अलगाव वादी और राष्ट्रविरोधी लोगों के साथ आपराधिक साजिश में शामिल हैं। SIA उनसे पूछताछ कर सकती है।

गौरतलब है कि 10 नवंबर को दिल्ली के लालकिले के पास हुए बड़े कार धमाके की जाँच चल रही है। इस जिहादी आतंकी हमले में 13 लोग मारे गए थे। हमले का मुख्य आरोपी डॉ. उमर-उन-नबी था, जो कट्टरपंथी डॉक्टरों और मौलवियों के ‘व्हाइट कॉलर’ मॉड्यूल का हिस्सा था। इस दौरान कश्मीर टाइम्स पर कार्रवाई हो रही है।

अधिकारियों के अनुसार यह मॉड्यूल बड़े आतंकी हमलों की योजना बना रहा था। जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े कई डॉक्टरों से लगभग 3000 किलो विस्फोटक और हथियार बरामद किए गए। यह मॉड्यूल हमास की शैली में हमला करने की तैयारी कर रहा था। ऐसा ही हमला अक्टूबर 2023 में इजरायल पर हुआ था।

अनुराधा ने पत्रकारिता में तीन दशक से अधिक समय बिताया है और खुद को ‘स्वतंत्र पत्रकारिता’ की आवाज बताती हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई फेलोशिप हासिल की हैं और कश्मीर संघर्ष पर लिखती रही हैं।

किन विवादों का हिस्सा रहीं अनुराधा भसीन
2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जब केंद्र सरकार ने सुरक्षा कारणों से कम्यूनिकेशन (संचार) बंदी लागू की तो अनुराधा भसीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ कदम’ माना गया और इससे से भी जाहिर हुआ कि वे अलगाववादियों की भाषा बोल रही हैं।

पहलगाम हमले के बाद भसीन का तर्क दिया कि हर आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई मानने की घोषणा करके भारत सरकार ने युद्ध की सीमा को कम कर दिया है और पाकिस्तान को सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराया। भसीन का कहना था कि मोदी सरकार ‘आतंकी हमलों पर फलती-फूलती है’।

17 नवंबर 2025 को अनुराधा भसीन ने पाकिस्तान-समर्थित और इस्लामी मानसिकता से भरा हुआ एक लेख लिखा। इसका शीर्षक था- ‘Inventing an Enemy Within: ‘White Collar Hate’ to Combat ‘White Collar Terror’’। इस लेख में भसीन ने तर्क दिया कि दिल्ली धमाके के बाद ‘व्हाइट कॉलर टेररिज्म’ के नाम पर सभी मुसलमानों के खिलाफ इस्लामोफोबिया फैलाया जा रहा है।

भसीन ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली हमले के बाद जनता के गुस्से को निकालने के लिए एक खलनायक खड़ा करना चाहती है। इसीलिए मुसलमानों और खास तौर पर पढ़े-लिखे मुसलमानों को भारत की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरे के रूप में पेश किया जा रहा है।

अनुराधा भसीन ने पाकिस्तान की फौज की बड़ाई करने से नहीं थकतीं। अपने लेख में उन्होंने यह भी कहा कि भारत को पता है कि दुनिया साउथ एशिया में परमाणु टकराव नहीं चाहती। साथ ही पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को भी कम करके नहीं आँका जा सकता।

फरवरी 2024 में अनुराधा भसीन ने कारवां इंडिया का एक प्रोपेगेंडा आर्टिकल साझा किया। इसमें दावा किया गया था कि भारतीय सेना अपने नागरिकों को प्रताड़ित करती है और फिर उनकी हत्या करती है।

कश्मीर टाइम्स पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर को ‘पाकिस्तान-प्रशासित जम्मू और कश्मीर’ कहता है। अपनी रिपोर्ट्स में अखबार कभी ‘PaJK’ लिखता है या फिर लिखता है, “भारत इसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहता है।”

अनुराधा भसीन अक्सर UAPA के खिलाफ आवाज उठाती हैं। वह इसे असहमति की आवाज को दबाने का हथियार कहती हैं। हालाँकि SIA की जाँच के बाद उन पर UAPA के तहत ही मामला दर्ज किया गया है। इसके बाद वामपंथी समूह अनुराधा भसीन के बचाव में उतर आया है।

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