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भागरथी कला संगम की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न, जंगलों-पशुओं से बढ़ती चुनौतियों पर गंभीर मंथन — जनजागरूकता के लिए लघु फ़िल्म बनाने का निर्णय


श्रीनगर गढ़वाल
सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक सरोकारों को समर्पित संस्था भागरथी कला संगम की एक महत्वपूर्ण बैठक स्थानीय कल्याणेश्वर मंदिर परिसर में संपन्न हुई। बैठक में संस्था की बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थित रहे। संगठन ने भविष्य की गतिविधियों, जनसरोकारों और समाज के सामने उभर रही गंभीर चुनौतियों पर विस्तार से विमर्श किया।

बैठक में गढ़वाल क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे जंगलों एवं वन्यजीवों के कारण ग्रामीणों पर बढ़ते हमलों, मानव-पशु संघर्ष, बढ़ती असुरक्षा और खेती-बाड़ी को हो रहे नुकसान पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। सदस्यों ने कहा कि पहाड़ में दिन-प्रतिदिन बढ़ती पीड़ा और असमंजस की स्थिति गाँवों को पलायन की ओर धकेल रही है।
संस्था ने स्पष्ट किया कि यह समस्या केवल ग्रामीणों की नहीं, बल्कि पूरे समाज और प्रशासन की संयुक्त जिम्मेदारी है।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि संस्था आगामी समय में जनजागरूकता कार्यक्रमों को तेज करेगी। जनगीतों, नुक्कड़ नाटकों और लघु फ़िल्मों के माध्यम से गाँव-गाँव, चौक-चौराहों और विद्यालयों तक जागरूकता अभियान को पहुँचाया जाएगा।
संस्था जल्द ही वन्यजीव, पलायन, सुरक्षा, ग्रामीण जीवन और सामाजिक मुद्दों पर आधारित एक प्रभावशाली लघु फ़िल्म तैयार करेगी, जिसे विभिन्न माध्यमों पर प्रसारित किया जाएगा।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि जंगलों से बढ़ते खतरे, खेती को हो रहे नुकसान, महिलाओं की दैनिक कठिनाइयों और ग्रामीण जीवन की वास्तविकता को फिल्म एवं नाट्य विधा के माध्यम से प्रमुखता से उठाया जाएगा। संगठन का उद्देश्य इन समस्याओं को केवल दिखाना नहीं, बल्कि समाज और सरकार दोनों को समाधान की दिशा में प्रेरित करना है।

संगठन ने अपनी सांस्कृतिक गतिविधियों को और सशक्त करने के लिए भी योजनाएँ प्रस्तुत कीं। लोककला, पारंपरिक संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

बैठक का संचालन मदन गडोई ने किया। इस अवसर पर संस्था से जुड़े सदस्य अवधेश मणि ने सभी सदस्यों को भविष्य की योजनाओं में सक्रिय रूप से सहभागी बनने के लिए प्रेरित किया।
बैठक में संस्था के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद बर्थवाल, निर्देशक मदन गडोई,सचिव पद्मेंद्र रावत, सह सचिव संजय कोठरी, संरक्षक दीनबंधु चौहान, रवि पुरी, धर्मेन्द्र कुमार, किशोरी नौटियाल, राजेंद्र रावत समेत बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थित रहे।

सदस्यों ने माना कि आज की यह बैठक न केवल सांस्कृतिक दिशा में आगे बढ़ने वाला निर्णय है, बल्कि जंगलों से उपजी समस्याओं को समझने और समाजहित में समाधान निकालने की दिशा में एक सशक्त कदम भी साबित होगी।

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