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10 साल बाद 'आरक्षण चक्र' टूटेगा, आरक्षित सीटें अब होंगी 'सामान्य'! 🚨

बिहार,2026 में होने वाले आगामी पंचायत चुनावों को लेकर एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव सामने आया है। पंचायती राज अधिनियम के तहत लागू आरक्षण चक्र (Reservation Roster) में अब फेरबदल की तैयारी हो गई है। इसका सीधा असर उन सीटों पर पड़ेगा जो लगातार 10 वर्षों से किसी विशेष वर्ग (जैसे SC, ST, या अति पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षित थीं।
समाप्त होगा 10 साल का आरक्षण, सीट होगी 'ओपन'
राज्य निर्वाचन आयोग/पंचायती राज विभाग ने स्पष्ट किया है कि:
दो चुनाव का चक्र पूरा: पंचायती राज कानून के अनुसार, एक पद पर लगातार दो बार (अर्थात 10 साल) तक किसी एक वर्ग के लिए आरक्षण होने के बाद, अगले चुनाव में उस सीट का आरक्षण समाप्त हो जाएगा।
जनगणना के आधार पर नया रोस्टर: 2026 के चुनाव में, इन सीटों को अब सामान्य (General/Unreserved) श्रेणी में बदला जाएगा। सीटों का नया आरक्षण अब जनसंख्या के अनुपात और 2011 की जनगणना (चूंकि 2021 की जनगणना लंबित है) के आंकड़ों के आधार पर नए सिरे से तय किया जाएगा।
ग्रामीण राजनीति में हलचल: इस बड़े बदलाव से ग्रामीण राजनीति में समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे। कई दिग्गज नेताओं की सीटें प्रभावित होंगी, और नए उम्मीदवारों के लिए मैदान खुल जाएगा।
क्या कहता है नियम?
बिहार पंचायती राज अधिनियम 2006 (या संबंधित राज्य का अधिनियम) के प्रावधानों के तहत, यह फेरबदल प्रत्येक दो क्रमिक चुनावों के बाद किया जाना अनिवार्य है। राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी आरक्षित पदों में पारदर्शिता और सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देने के उद्देश्य से इस प्रक्रिया को शुरू कर दिया है।
इस बदलाव से, लंबे समय से आरक्षित रही सीटें अब अनारक्षित (सामान्य) हो जाएंगी, जिससे इन सीटों पर किसी भी वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लड़ सकेंगे।
संभावित प्रत्याशियों के लिए संदेश
संभावित उम्मीदवारों को सलाह दी गई है कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में होने वाले संभावित आरक्षण परिवर्तन की श्रेणी पर ध्यान दें, क्योंकि इस बार आरक्षण का प्रारूप पूरी तरह बदल जाएगा।

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