
“चलने की चाह को फिर से उड़ान दी—करुणा और विज्ञान के महाशिल्पी”
✍️ ( हरिदयाल तिवारी)
आज देश उस महान वैज्ञानिक-चिकित्सक डॉ. प्रमोद करण सेठी की जयंती मना रहा है, जिनकी देन जयपुर फुट ने वैश्विक स्तर पर पुनर्वास की परिभाषा बदल दी। 28 नवम्बर 1927 को जन्मे डॉ. सेठी ने चिकित्सा विज्ञान में करुणा और तकनीक का ऐसा संगम किया, जिसने लाखों जीवन में फिर से गति भर दी।
1960 के दशक में जयपुर के एस.एम.एस. मेडिकल कॉलेज में कार्य करते हुए उन्होंने स्थानीय परिस्थितियों, भारतीय जीवनशैली और ग्रामीण जरूरतों को ध्यान में रखकर ऐसा कृत्रिम पैर विकसित किया, जो लचीलेपन, मजबूती, कम लागत और उपयोगिता के लिहाज़ से अद्वितीय था। मोची मास्टरराम चंद के साथ मिलकर तैयार किया गया यह नवाचार बाद में दुनिया भर में “जयपुर फुट” नाम से प्रसिद्ध हुआ और आज भी 120+ देशों में पुनर्वास का सबसे मानवीय मॉडल माना जाता है।
डॉ. सेठी के कार्य को पदम श्री, पदम भूषण और रमन मैग्सेसे पुरस्कार जैसी प्रतिष्ठित मान्यताएँ मिलीं, पर उनका वास्तविक सम्मान उन अनगिनत मुस्कानों में है जो किसी व्यक्ति के दोबारा खड़े होने और चल पड़ने के क्षण में खिलती हैं।
उनकी जयंती हमें याद दिलाती है कि सच्चा विज्ञान वही है, जो मानवता को सीधा स्पर्श करे।
इस महान नवप्रवर्तक को श्रद्धांजलि।