
चोंग्रेस
✍️क्या रोका जा सकता था मुंबई हमला❓
अगर मनमोहन सिंह सरकार अमेरिकी खुफिया एजेंसियो की इनपुट को सीरियसली लेती तो मुंबई हमला रोका जा सकता था!!
या फिर यह कहें कांग्रेस सरकार खुद मुंबई हमले को होने देना चाहती थी ताकि इसी बहाने हिंदुओं को आतंकवादी साबित करके हजारों हिंदुओं को जेल में सड़ा दिया जाए और पूरी दुनिया को यह बताया जाए कि हिंदू आतंकवादी होते हैं
26/11 मुंबई हमला भारत के इतिहास का सबसे भीषण आतंकवादी हमला था, लेकिन इस पूरी घटना का एक कम चर्चा किया गया पहलू यह है कि अगर भारत सरकार ने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के इनपुट जिसमे उन्होंने दाऊद सैयद गिलानी उर्फ डेविड कोलमैन हेडली की गतिविधियों को गंभीरता से लिया होता तो यह हमला टाला जा सकता था.
दस्तावेज़ों और जाँच रिपोर्टों से यह स्पष्ट है कि अमेरिकी एजेंसियों, विशेषकर NSA, FBI, और DEA के पास पहले से कई संकेत मौजूद थे जिसे उन्होंने अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास तथा भारत सरकार के साथ शेयर किया था
1. हेडली उर्फ दाऊद गिलानी की पत्नी ने 2007 में अमेरिकी दूतावास को बताया कि वह पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में है.
2. अमेरिकी एजेंसियों के पास उसकी चरमपंथी गतिविधियों से जुड़े ईमेल, संपर्क और यात्रा रिकॉर्ड उपलब्ध थे.
3. NSA ने 2008 में लश्कर के ऑपरेटिव्स की कई संदिग्ध बातचीत इंटरसेप्ट की थी, जिनमें भारत में संभावित हमले का संकेत था.
4. हेडली की बार-बार की भारत यात्राएँ, GPS डेटा और वीडियो फुटेज—सभी डिजिटल निशान छोड़ रहे थे.
इन सबके बावजूद, भारतीय एजेंसियाँ समय पर विश्लेषण, सूचना-साझाकरण, और राजनीतिक निर्णय लेने में विफल रहीं.
हेडली का अतीत भी उसकी सुरक्षा बन गया. एक समय वह DEA का मुखबिर था, इसलिए एजेंसियों के भीतर उसे लेकर एक तरह का विश्वास और ढीलापन मौजूद था. इस पृष्ठभूमि के कारण:
1. उसकी विदेश यात्राओं की गहन जांच नहीं हुई.
2. उसके खिलाफ मिली चेतावनियों को "कम प्राथमिकता" श्रेणी में डाल दिया गया.
3. आतंकवाद से जुड़े संकेतों को ड्रग-इनफॉर्मेंट की निजी जिंदगी मानकर टाल दिया गया.
अगर समय पर अलर्ट मिल जाता तो क्या होता?
भारत के सुरक्षा विशेषज्ञ स्पष्ट रूप से बताते हैं कि: अगर अमेरिकी एजेंसियाँ 2006–2008 के बीच हेडली की गतिविधियों की सूचना भारत को देतीं, या उसकी मुंबई यात्राओं और GPS मैपिंग के बारे में सचेत करतीं, तो भारत हेडली को गिरफ्तार कर सकता था, और उसके नेटवर्क को पकड़कर 26/11 जैसे बड़े हमले को विफल किया जा सकता था.
हेडली ही वह व्यक्ति था जिसने:
1. टारगेट लोकेशन चुनी
2. होटल और बंदरगाह तक के रास्तों की वीडियो रिकॉर्डिंग की
3. हमलावरों को डिजिटल नक्शे भेजे
4. पाकिस्तान स्थित लश्कर और ISI को विस्तृत खुफिया फीड दिया
यानी 26/11 की पूरी रीढ़ हेडली की रेकी थी. अगर वह गिर जाता, पूरा ऑपरेशन ध्वस्त हो जाता.
1. जानकारी सही समय पर पहचानी नहीं गई
2. लश्कर नेटवर्क की बातचीत को उच्च प्राथमिकता नहीं दी गई
3. एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी ने खतरे को धुंधला कर दिया
4. यह वही “हेस्टैक प्रॉब्लम” था, सुई दिखी ही नहीं क्योंकि घास का ढेर बहुत बड़ा थी.
26/11 के बाद विश्व की लगभग सभी सुरक्षा एजेंसियों ने स्वीकार किया कि:
1. हेडली को समय पर रोका जा सकता था,
2. हमले को कम से कम सीमित किया जा सकता था,
यह मामला आज भी वैश्विक आतंकवाद और खुफिया सहयोग की सबसे बड़ी विफलताओं में गिना जाता है.
लेकिन भारत सरकार हिंदू आतंकवाद की थ्योरी को साबित करने में लगी रही और कैसे अमित शाह और नरेंद्र मोदी को सोहराबुद्दीन और इशरत जहां के एनकाउंटर में फंसा कर गिरफ्तार किया जाए उसी में लगी रही
डेविड कोलमैन हेडली ने बताया और उसका वीडियो भी है कि इशरत जहां से उसने कई बार बात किया है इशरत जहां हमारी यानी लश्करे तैयबा की प्रशिक्षित आतंकवादी थी हमने उसको बकायदा प्रशिक्षण दिया था कि तुम्हें कैसे गुजरात में हमले करने हैं खासकर नरेंद्र मोदी को निशाना बनाना है
कांग्रेस सरकार यह डर रही थी कि अगर उसने दाऊद गिलानी उर्फ डेविड हेड़ली को पकड़ा तो फिर इशरत जहां का सच्चाई दुनिया के सामने आ जाएगा फिर उसने जो इस फर्जी मामले में 12 आईपीएस अधिकारियों सहित 30 पुलिस अधिकारियों और अमित शाह को जेल में डाला है तो इस मामले पर उसकी किरकिरी होगी
इसीलिए भारत की कांग्रेस सरकार ने जानबूझकर मुंबई हमला होने दिया,,