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श्री कुन्द कुन्द जैन महाविद्यालय में स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित

खतौली। शासन के निर्देशानुसार मिशन शक्ति फेज–5 के अंतर्गत श्री कुन्द कुन्द जैन महाविद्यालय, खतौली में हिन्दी विभाग तथा राजनीति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका” विषय पर एक प्रेरक एवं ज्ञानवर्धक निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया और स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं के अद्वितीय योगदान पर अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का शुभारम्भ महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. नीतू वशिष्ठ के प्रेरक संबोधन के साथ हुआ। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता को वैदिक काल से लेकर आधुनिक युग तक समृद्ध बनाने में महिलाओं की भूमिका सदैव महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारत की कई वीरांगनाओं ने अदम्य साहस और राष्ट्रप्रेम का परिचय देकर इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर अपने नाम अंकित किए। प्राचार्या प्रो. वशिष्ठ ने वर्तमान उदाहरण देते हुए कहा कि आज भी भारत की सर्वोच्च संवैधानिक शक्ति—राष्ट्रपति पद—पर एक महिला, महामहिम श्रीमती द्रोपदी मुर्मू के रूप में राष्ट्र की सेवा कर रही हैं, जो हर भारतवासी के लिए गर्व का विषय है। निबंध लेखन प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका से जुड़े विविध पक्षों को अत्यंत प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया। बी.ए. की एक छात्रा ने अपने निबंध में रानी लक्ष्मीबाई का उल्लेख करते हुए लिखा कि वे राष्ट्रीय गौरव की जीवित मिसाल हैं तथा 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान सदैव प्रेरणादायक रहेगा। एक अन्य छात्रा ने विजयलक्ष्मी पंडित को महिलाओं की शक्ति और प्रेरणा का प्रतीक बताते हुए कहा कि नमक सत्याग्रह के समय उन्होंने आंदोलन का नेतृत्व किया और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार में सक्रिय भूमिका निभाई, जिसके चलते वे जेल भी गईं। छात्रा सलोनी ने एनी बेसेंट के कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि वे 1917 में कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष बनीं, वहीं उनकी सहयोगी मार्गरेट ने महिलाओं के मताधिकार के लिए महत्त्वपूर्ण बिल तैयार किया और भारत महिला संगठन की स्थापना की। छात्रा मंजिल ने सरोजिनी नायडू को अपना आदर्श बताते हुए लिखा कि उन्होंने नमक सत्याग्रह में साहसिक भूमिका निभाई तथा महिला सशक्तिकरण और राष्ट्रवाद को बल देने के लिए महिला संगठन स्थापित किए। उस समय महिलाओं को मताधिकार दिलाने हेतु वे एक प्रतिनिधिमंडल के साथ लंदन भी गई थीं। कई विद्यार्थियों ने अपने निबंध में सुचेता कृपलानी, कमला दास गुप्ता, मृदुला साराभाई, इंदिरा गांधी और सुषमा स्वराज जैसी प्रमुख महिलाओं के योगदान का भी सुंदर वर्णन किया। कार्यक्रम प्रभारी डॉ. सपना जैन ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताएँ न केवल विद्यार्थियों में लेखन कौशल विकसित करती हैं, बल्कि उन्हें राष्ट्र के इतिहास और समाज में महिलाओं के बहुआयामी योगदान को समझने का अवसर भी प्रदान करती हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो. नीरजा गुप्ता और डॉ. मनीष कुमार जैन का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में डॉ. दीप्ति जैन, श्रीमती सीमा तोमर, कु. अरीबा सहित अनेक शिक्षक-शिक्षिकाएँ एवं छात्राएँ उपस्थित रहीं। निबंध लेखन प्रतियोगिता को विद्यार्थियों ने अत्यन्त उत्साह, ऊर्जा और सम्मानपूर्ण दृष्टिकोण से संपन्न किया।

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