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वेदान्त 2.0 की प्रमुख अवधारणाएँ और सार निम्नलिखित हैं:

वेदान्त 2.0 एकीकृत चेतना का दर्शन है जो वेद, उपनिषद, गीता, दर्शन, शास्त्र, मनोविज्ञान और आधुनिक विज्ञान को टकराव की जगह संयोजन में देखता है। यह पारंपरिक वेदान्त के पुराने धार्मिक सिद्धांतों से परे आधुनिक वैज्ञानिक और अनुभवजन्य दृष्टिकोण को शामिल करता है।इसका मूल उद्देश्य जीवन का जागरण और एक ऐसी चेतना की प्राप्ति है जो स्वाभाविक, स्वतंत्र, और अनुभवों पर आधारित हो, न कि धार्मिक ग्रंथों या परंपराओं पर।इसमें धर्म को मान्यताओं का इतिहास माना गया है और विज्ञान को अनुभव का भविष्य माना गया है, अतः आध्यात्मिकता को ऊर्जा, चेतना, और विज्ञान की भाषा में समझने की कोशिश की जाती है।वेदान्त 2.0 का दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि संसार को माया या अवास्तविक माना जाता है, जिससे मनुष्य को भावनात्मक और मानसिक बंधनों से मुक्त होकर एक शांति और संतोष की अवस्था में लाया जा सकता है।इसमें व्यक्तिगत अनुभव, सीधे अनुभव का ज्ञान और वैज्ञानिक चेतना को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे धार्मिक आडंबर और निरर्थक पौराणिक कथाओं से बाहर निकलकर एक व्यावहारिक, आधुनिक और जीवंत आध्यात्मिकता की स्थापना होती है।यह दर्शन जीवन को सहज, प्राकृतिक और मुक्त प्रवाह में स्वीकार करता है, जहां स्वभाव, गुण और मौलिक प्रकृति को नैसर्गिक माना गया है, न कि कठोर नियमों या अनुशासनों का पालन।इस प्रकार वेदान्त 2.0 अज्ञात अज्ञानी की ओर से एक क्रांतिकारी प्रयास है जो पारंपरिक वेदान्त की व्याख्याओं को आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान, व्यक्तिगत अनुभव, और स्वतंत्र चेतना के साथ जोड़ता है, ताकि जीवन के अर्थ और आध्यात्म की नई समझ प्राप्त हो सके

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