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700 ग्राम अवैध धान की जबरन वसूली ! झुमका उपार्जन केंद्र का बड़ा घोटाला उजागर

धान खरीदी सीजन में अनियमितताओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। झुमका उपार्जन केंद्र में कवरेज के दौरान एक बड़ा घोटाला सामने आया, जहाँ किसानों से प्रति बोरी 40.600 किग्रा की जगह 41.300 किग्रा धान तौला जा रहा था। यानी हर बोरी पर 700 ग्राम धान की जबरन वसूली, वह भी शासन के स्पष्ट निर्देशों को दरकिनार कर।

नमी–डस्ट का बहाना, किसानों को डराकर ज्यादा धान की जबरन तुलाई

किसानों ने बताया कि फड़ पर “नमी ज्यादा” और “डस्ट अधिक” बताकर उनसे अतिरिक्त धान लिया जा रहा है। लेकिन मौके पर जांच में जिस किसान का धान लिया जा रहा था, उसकी नमी 16.9% पाई गई और धान पूरी तरह साफ-सुथरा था।
यानी नमी–डस्ट की आड़ में किसानों को गुमराह कर अधिक धान तौलने की साज़िश चल रही थी।

फड़ प्रभारी का दावा—“प्रबंधन का आदेश” | प्रबंधक ने किया इनकार

जब फड़ प्रभारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा—

“प्रबंधक और अध्यक्ष ने बैठक में 41.300 किलो तौलने का आदेश दिया है।”

लेकिन जब प्रबंधक से बात की गई तो उन्होंने साफ कहा—

41.300 किलो लेना गलत है, ऐसा कोई आदेश नहीं है।

दोनों के विपरीत बयान प्रबंधन की मिलीभगत और जिम्मेदारी टालने की कोशिश को उजागर करते हैं।

घोटाला गंभीर: IPC 420, 406 और धान नीति का खुला उल्लंघन

किसानों से अधिक धान वसूली करना सिर्फ अनियमितता नहीं, बल्कि कानूनन गंभीर अपराध है। यह कृत्य—

धारा 420 (धोखाधड़ी)

धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात)

छत्तीसगढ़ धान उपार्जन नीति का उल्लंघन

आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अपराध
के दायरे में आता है।

तहसीलदार आयुष तिवारी का सख्त निर्देश—“पूरी कार्रवाई होगी”

सूचना मिलते ही सरसींवा तहसीलदार आयुष तिवारी ने इसे गंभीर व आपराधिक मामला बताते हुए तुरंत फूड इंस्पेक्टर अमित शुक्ला को मौके पर जांच के निर्देश दिए। उन्होंने आश्वस्त किया कि दोषियों पर कठोर कार्रवाई होगी।

किसानों को आर्थिक नुकसान—प्रशासनिक निगरानी पर सवाल
इस तरह की वसूली से किसानों को सीधा आर्थिक नुकसान हो रहा है। लगातार शिकायतों के बावजूद गड़बड़ियाँ जारी रहना प्रशासनिक निगरानी की कमजोरी और संभावित मिलीभगत की ओर इशारा करता है।

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