
इटैया में हरे पेड़ों पर चल रहा आरा, वन विभाग के परमिट पर उठे सवाल
(निर्जेश मिश्रा)
पलिया। “वृक्ष धरा का भूषण हैं, करते दूर प्रदूषण हैं"
पर प्रकृति संरक्षण का यह संदेश पलिया क्षेत्र के ग्राम इटैया में बेमानी साबित हो रहा है। गांव में आम के हरे-भरे पेड़ों पर लकड़कट्टों का आरा चल रहा है। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इन कटानों पर वन विभाग की ओर से बाकायदा परमिट जारी किया गया है।
ग्राम इटैया में इन दिनों कई हरे पेड़ धराशायी हो चुके हैं। लोगों का आरोप है कि लकड़कट्टों को वन विभाग की शह मिली हुई है। बिना भौतिक सत्यापन के परमिट जारी कर दिए जाने से हरे पेड़ों का अंधाधुंध कटान हो रहा है।
इस संबंध में जब क्षेत्रीय वनाधिकारी मझगई अंकित सिंह से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि “पेड़ों का कटान विधिवत जारी किए गए परमिट के आधार पर किया जा रहा है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब नियम स्पष्ट रूप से हरे पेड़ों के कटान पर रोक लगाते हैं, तो विभाग ऐसे परमिट जारी कैसे कर रहा है?
स्थानीय लोगों का कहना है कि गांधी जी की दम पर विभागीय दलालों के जरिए बिना जांच के परमिट बांट दिए जाते हैं, जिसके चलते सही-सही स्थिति का सत्यापन नहीं हो पाता। परिणाम यह होता है कि हरे-भरे पेड़ भी सूखे दिखाकर काटने की अनुमति ले ली जाती है।
पर्यावरण प्रेमियों ने चेताया है कि यदि इसी तरह हरियाली को नोचने का सिलसिला जारी रहा तो आने वाले समय में धरती का संतुलन बिगड़ जाएगा। पेड़ों के बिना प्रकृति और मानव जीवन दोनों पर संकट गहराएगा।
इस मामले में वन विभाग कटान परमिट जारी करने की प्रक्रिया की गहन जांच कराए और इटैया में हुए हरे पेड़ों की कटान की जिम्मेदारी तय करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे।
धरती के ‘भूषण’ कही जाने वाली हरियाली को बचाने के लिए सख्त कदम उठाना अब बेहद जरूरी हो गया है, वरना आने वाली पीढ़ियां केवल कागजों में दर्ज जंगलों का इतिहास पढ़ने को मजबूर होंगी।