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जमीनी कानून क्या कहता है ? कानून से हटकर क्यो अंचलाधिकारी काआया बयान ?

मदनपुर अंचलाधिकारी के गलत फैसले से पतेया ग्राम में बढ़ सकता है विवाद

जमीनी कानून क्या कहता है ? कानून से हटकर क्यो अंचलाधिकारी काआया बयान ?

नन्द कुमार सिंह /ब्यूरो चीफ, राष्ट्रीय प्रसार

मदनपुर/औरंगाबाद -- समाज मे विभिन्न तरह की विवादे है जिसमे अकेले 60% सिर्फ जमीनी विवाद है आखिर क्यों ? जमीनी विवाद सुलझाने के लिए अमीन,कर्मचारी, अंचल पदाधिकारी सहित जिले लेबल तक कई पदाधिकारी मौजूद हैं फिर भी जमीनी विवाद सुलझने के अलावे केश और फौदारी तक कैसे पहुंच जा रहा है आइए पत्रकार के आंखों देखी एक घटना सुनाते हैं - घटना 24 नवम्बर 2025 के दो बजे दिन की है ,मदनपुर अंचल पदाधिकारी अपने दल बल ,कर्मचारी, अमीन और पुलिस बल के साथ पतेया ग्राम पहुंचे ओ भी पार्टी को बिना किसी नोटिस दिए ,जहां कुछ दिनों से एक जमीन में विवाद चल रहा था, जिसका खाता संख्या 14 और प्लॉट संख्या 317 है । इस जमीन का टोटल रकवा खतियान और नक्सा दोनों से 1 एकड़ 27 डिसमिल है ,नापी होने के बाद भी इतना ही ठहरता है । इस जमीन के छह पाटिदार है । सभी जमीन मालिक खानकी बटवारे के द्वारा अपने अपने हिसे का मालिक है । इस जमीन के कुछ मालिको द्वारा बिक्री कर दिया गया है जो बिना नापी के यो अपना मकान बना चुके है ।

यह मामला तब तूल पकड़ लिया जब ग्राम के अरविंद सिंह के जमीन पर ग्राम के ही प्रमोद चंद्रवंशी द्वारा पक्के मकान का निर्माण कार्य किया जाने लगा । ज्ञात हो कि अरविंद सिंह द्वारा सात डिसमिल जमीन रेउया ग्राम निवासी बिरजू नुनिया को केवाला किया गया था इसी जमीन पर प्रमोद चंद्रवंशी का मकान निर्माण हो रहा था । अरविंद सिंह का कहना है कि जब हम बिरजू नुनिया को खबर किये तो उसने बताया की ठीक है बनाने दीजिए । मकान बनने के पूर्व में तीन बार नापी हो चुका था, दो बार प्राइवेट और एक बार सरकारी जिसे जानते हुए की यह जमीन अरविंद सिंह द्वारा बिरजू नुनिया को केवाला कर दिया गया है प्रमोद चंद्रवंशी का मकान बना । अब समझने का सबसे मुख्य चीज यह है कि यह मकान बनाने के लिए कौन रोके । पुराना जमीन मालिक या नया जमीन मालिक ? अंचल पदाधिकारी का कहना है कि उस समय मकान को क्यों नही रोके ?
मामला इतना ही नही है अंचल पदाधिकारी द्वारा इस विवाद को हवा दे दिया गया , बिना पूरे प्लॉट को नापे हुए प्रमोद चंद्रवंशी के मकान से सात डिसमिल जमीन को नाप कर निकाल दिए जबकि अरविंद सिंह का निज जमीन गायब हो गया जिससे सभी जमीन मालिको में आक्रोश बढ़ गया । पत्रकार द्वारा जब अंचल पदाधिकारी से पूछा गया कि आप बिना पूरे प्लॉट को बटवारे के आधार पर नापे बिना ये कैसे डिसीजन कर लिए की किसका हिस्सा कहाँ है ? इस पर अंचल पदाधिकारी का स्पष्ट जबाब मिला कि जहाँ जाना है जाइये हमको जो करना है करेंगे अब जो मकान बन गया यो थोड़े ही टूटेगा ? अब सवाल यह उठता है कि क्या कोई व्यक्ति दूसरे के जमीन पर मकान बना लेगा तो वह नही टूटेगा ? या पहले कभी टूटा नही है ? इनके एक तरफे गलत फैसले से गुसाये जमीन मालिक इनके द्वारा गाड़े गए ईंट को इन्ही के समान कबाड़ कर फेंक दिया
जमीन मालिको का कहना है कि पूरे प्लॉट का बटवारे के आधार पर मापिकर जमीन खाली करवाया जाय ,
अब आपलोग बताए कि अंचल पदाधिकारी गलत बोल रहे है या ग्रामीण गलत मांग कर रहे हैं ? ग्रामीणों ने इनपर घूंस लेकर एक तरफा फैसला करने का आरोप लगाया ,यहां तक कि कई ग्रामीणों ने अंचल पदाधिकारी से पूछ दिया कि कितना पैसा लेकर नया कानून बना रहे हैं ? अंचल पदाधिकारी के पास कोई जबाब नही था इसलिए कि उन्हें खुद पता है कि यो गलत कर रहे हैं ।
अब सवाल यह उठता है कि जब कोई विवाद उठता है तो उसके संबंधित पदाधिकारी के पास न्याय के लिए जाते हैं अगर पदाधिकारी ही पैरवी और पैसे के ऊपर न्याय करने लगे तो न्याय का क्या होगा ?

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