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लॉर्ड कॉर्नवालिस का मकबरा: गाजीपुर जिले का ऐतिहासिक स्मारक

गाजीपुर जिले, उत्तर प्रदेश में स्थित लॉर्ड कॉर्नवालिस का मकबरा ब्रिटिश औपनिवेशिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्मारक है। यह मकबरा चार्ल्स कॉर्नवालिस (1738-1805), जो ब्रिटिश सेना के एक प्रमुख अधिकारी और भारत के गवर्नर-जनरल रहे, की स्मृति में बनाया गया है। कॉर्नवालिस को भारत में ब्रिटिश शासन की नींव रखने वाले सुधारक के रूप में जाना जाता है। आइए, इसकी विस्तृत जानकारी पर नजर डालें।
लॉर्ड कॉर्नवालिस का संक्षिप्त परिचय और भारत से जुड़ाव
चार्ल्स कॉर्नवालिस, जिन्हें प्रथम मार्क्विस कॉर्नवालिस के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 31 दिसंबर 1738 को इंग्लैंड में हुआ था। वे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के दूसरे गवर्नर-जनरल (1786-1793) बने और बाद में 1805 में तीसरी बार इस पद पर नियुक्त हुए। भारत में उनके प्रमुख योगदान निम्नलिखित हैं:
भूमि सुधार: उन्होंने 'परमानेंट सेटलमेंट' (स्थायी बंदोबस्त) प्रणाली की शुरुआत की, जो भूमि राजस्व संग्रह को स्थायी रूप से तय करने वाली पहली व्यवस्था थी। यह सुधार गाजीपुर जैसे जिलों में भी लागू हुआ, जहां वे भूमि सुधारों के लिए प्रसिद्ध हुए।
न्यायिक सुधार: 'कॉर्नवालिस कोड' के माध्यम से उन्होंने न्यायपालिका और कार्यपालिका को अलग किया, सर्किट कोर्ट स्थापित किए, और मुस्लिम व हिंदू कानूनों का अंग्रेजी अनुवाद कराया। उन्होंने कलकत्ता में निजामत सदर अदालत की स्थापना की, जो अपराध न्यायिक मामलों की सर्वोच्च अदालत बनी।
सैन्य योगदान: अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में वे यॉर्कटाउन की हार के लिए जाने जाते हैं, लेकिन भारत में उन्होंने तीसरे एंग्लो-मैसूर युद्ध (1790-1792) में टीपू सुल्तान के खिलाफ ब्रिटिश सेना का नेतृत्व किया। श्रीरंगपट्टनम की घेराबंदी और संधि से मैसूर के क्षेत्र ब्रिटिश साम्राज्य में मिले।
इंग्लैंड लौटने के बाद वे आयरलैंड के लॉर्ड लेफ्टिनेंट बने और 1798 के विद्रोह को दबाया, साथ ही एक्ट ऑफ यूनियन (1800) में भूमिका निभाई।
1805 में भारत लौटने पर वे गाजीपुर पहुंचे, लेकिन गंभीर बुखार से 5 अक्टूबर 1805 को उनकी मृत्यु हो गई। स्थानीय परंपरा के अनुसार, उनकी मृत्यु गंगा के दाहिने किनारे पर जमानिया (तब गौसपुर) में हुई, लेकिन दफनाव गोराबाजार में किया गया।
मकबरे का इतिहास
कॉर्नवालिस की मृत्यु के तुरंत बाद, ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनकी स्मृति में एक भव्य मकबरा बनवाने का निर्णय लिया। निर्माण 1805-1813 के बीच पूरा हुआ। यह मकबरा गाजीपुर को ब्रिटिश इतिहास से जोड़ता है, जहां वे भूमि सुधारों का निरीक्षण करने आए थे। मकबरा न केवल उनकी कब्र है, बल्कि ब्रिटिश औपनिवेशिक वास्तुकला का उदाहरण भी है। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक है और पर्यटन मंत्रालय द्वारा प्रबंधित किया जाता है। हर साल नए साल पर यहां सभाएं आयोजित होती हैं।
वास्तुकला और संरचना
मकबरा की डिजाइन प्रसिद्ध ब्रिटिश मूर्तिकार जॉन फ्लैक्समैन द्वारा तैयार की गई, जो पोलैंड के पुलावी में स्थित सिबिल्स टेम्पल से प्रेरित है। इसकी प्रमुख विशेषताएं:
मुख्य संरचना: 12 डोरिक स्तंभों पर आधारित एक भारी गुंबदाकार छत। यह एक आकर्षक भवन है जो गंगा नदी को निहारता हुआ स्थित है।
केंद्रीय तत्व: सफेद संगमरमर का चेनोटाफ (खाली समाधि), जिस पर दक्षिणी ओर कॉर्नवालिस का मेडेलियन बस्ट (मूर्ति) उकेरा गया है। फर्श ग्रे संगमरमर का है, जो जमीन से लगभग 4 मीटर ऊंचाई पर है।
सामग्री: इंग्लैंड से लाए गए पत्थरों का उपयोग किया गया, जो इसकी मजबूती का प्रतीक है। पास में प्राचीन मिट्टी के किले के अवशेष भी हैं, जो नदी की ओर देखते हैं।
आकार और प्रभाव: संरचना भारी और शाही है, जो रोमन-ग्रीक शैली को दर्शाती है। यह गंगा के किनारे होने से और भी मनमोहक लगता है।
मकबरा घूमने में 2-3 घंटे लगते हैं, और यह शांत पार्क में स्थित है।
स्थान और पहुंच
स्थान: गाजीपुर शहर के गोराबाजार में, सेंट थॉमस चर्च के दक्षिण में। यह गाजीपुर-चौचकपुर रोड के दक्षिणी किनारे पर एक बड़े पार्क में है, जो पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज रोड के पश्चिम में स्थित है। रेलवे स्टेशन से लगभग 4 किमी दूर, पुराने कैंटोनमेंट क्षेत्र के पास।
पहुंच: गाजीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से ऑटो या टैक्सी से आसानी से पहुंचा जा सकता है। वाराणसी से 65 किमी दूर, सड़क मार्ग से जुड़ा। निकटतम हवाई अड्डा वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट (70 किमी) है।
पर्यटक सुविधाएं: प्रवेश निःशुल्क या नाममात्र शुल्क। आसपास गंगा घाट और अन्य ब्रिटिश काल के अवशेष हैं। ट्रिपएडवाइजर पर इसे ट्रैवलर्स चॉइस अवॉर्ड मिला है, जो शीर्ष 10% आकर्षणों में शामिल होने का संकेत है। हालांकि, कुछ समीक्षाओं में रखरखाव की कमी का उल्लेख है, लेकिन यह शांतिपूर्ण स्थान है।
महत्व और वर्तमान स्थिति
लॉर्ड कॉर्नवालिस का मकबरा न केवल ब्रिटिश इतिहास का प्रतीक है, बल्कि भारतीय प्रशासनिक सुधारों की याद दिलाता है। उनके सुधारों ने आधुनिक भूमि प्रबंधन और न्याय व्यवस्था की आधारशिला रखी, हालांकि परमानेंट सेटलमेंट की आलोचना भी हुई क्योंकि इससे जमींदारों को लाभ मिला। आज यह गाजीपुर को 'शहीदों का शहर' के अलावा एक पर्यटन स्थल बनाता है। अन्य स्थानों पर उनके स्मारक हैं, जैसे लंदन के सेंट पॉल कैथेड्रल, चेन्नई के फोर्ट सेंट जॉर्ज, और कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में।

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