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सूर्यकांत को शपथ लेते देख हरियाणा का जिला हिसार गर्वित हो गया।

हरियाणा के जिला हिसार की तहसील हांसी के गांव पेटवाड़ की मिट्टी से निकले सूर्यकांत को भारत के.मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ लेता देखकर गांव पेटवाङ ही नहीं पूरा हरियाणा गर्वित महसूस कर रहा है।
गाँव के लोगों का कहना है कि आज का दिन गांव के लिए गौरव, सरल स्वभाव के धनी और न्याय की परंपरा को नए आयाम देने वाले माननीय जस्टिस सूर्यकांत जी को देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्त होना पूरे क्षेत्र में गर्व और सम्मान की बात है।

यह केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि पेटवाड़ सहित पूरे हरियाणा के लिए ऐतिहासिक क्षण है। न्यायपालिका में आपकी स्वच्छ छवि, गहन समझ, संवेदनशीलता और कर्तव्य के प्रति निष्ठा ने आपको इस सर्वोच्च पद के लिए उपयुक्त बनाया है। आज आप लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरे हैं कि गाँवों की साधारण पगडंडियों से निकलकर भी राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च शिखर तक पहुँचा जा सकता है।
आपकी यह उपलब्धि हम सबके सिर को गर्व से ऊँचा करती है और पेटवाड़ के नाम को नई पहचान देती है। हृदय से शुभकामनाएँ कि आपके नेतृत्व में देश की न्याय व्यवस्था और अधिक मजबूत, संवेदनशील और जनहितकारी बने।

गाँव पेटवाड़ की ओर से विनम्र शुभकामनाएँ और सतत सम्मान।
केंद्र सरकार ने भारत के सी.जे.आई. की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी.आर. गवई की सेवानिवृत्त के बाद आज सूर्य कांत जी ने


जस्टिस गवई के बाद सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत को राष्ट्रपति भारत सरकार ने आज मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई।
हैं और भारतीय न्यायपालिका के अगले प्रमुख बनने की कतार में पहले पायदान पर हैं।
हरियाणा के हिसार में जस्टिस सूर्यकांत का हुआ जन्म

हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी 1962 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश बने हैं जो 9 फरवरी 2027 तक लगभग 15 महीने के लिए इस पद पर रहेंगे।

जस्टिस सूर्यकांत इन मामलों की सुनवाई में रहे शामिल

जस्टिस सूर्यकांत बतौर न्यायाधीश दो दशक से अधिक लंबा अनुभव लेकर उच्चतम न्यायालय में आए। वह अनुच्छेद-370, अभिव्यक्ति की आजादी, लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, पर्यावरण और लैंगिक समानता से जुड़े ऐतिहासिक फैसले सुनाने वाली पीठ का हिस्सा रह चुके हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत उस पीठ में भी शामिल थे, जिसने औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून को स्थगित किया और निर्देश दिया कि सरकार की समीक्षा तक इसके तहत कोई नयी प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी। उन्होंने निर्वाचन आयोग से बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का ब्योरा सार्वजनिक करने को कहा, जिससे चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उनकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित हुई।
देश के भावी सीजेआई सूर्यकांत उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2022 की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन की जांच के लिए शीर्ष अदालत की पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की थी। उन्होंने कहा था कि ऐसे मामलों की जांच के लिए "न्यायिक रूप से प्रशिक्षित दिमाग" की जरूरत होती है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने रक्षा बलों के लिए 'वन रैंक-वन पेंशन' (ओआरओपी) योजना को संवैधानिक रूप से वैध बताते हुए बरकरार रखा। वह सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन में महिला अधिकारियों के लिए समानता के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं।
जस्टिस सूर्यकांत सात न्यायाधीशों की उस पीठ में भी शामिल थे, जिसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से जुड़े 1967 के फैसले को खारिज कर दिया था, जिससे संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का रास्ता खुल गया था। वह 'पेगासस स्पाइवेयर' से जुड़े मामले की सुनवाई करने वाली पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने अवैध निगरानी के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों का एक पैनल नियुक्त किया था और कहा था कि राज्य को "राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में मुफ्त पास" नहीं मिल सकता है।
सभी को आशा है कि वह इस पद पर रह कर अपने प्रभाव की अमीट छाप छोङेंगें।

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