logo

चैरिटेबल ट्रस्टों पर बड़ी सख्ती! आयकर विभाग ने बदले नियम — अब ‘Irrevocable Clause’ अनिवार्य, वरना खत्म होगी टैक्स छूट

**चैरिटेबल ट्रस्टों पर बड़ी सख्ती!

आयकर विभाग ने बदले नियम — अब ‘Irrevocable Clause’ अनिवार्य, वरना खत्म होगी टैक्स छूट**

लेखक: अधिवक्ता अरविंद अग्रवाल

देश में चल रहे चैरिटेबल ट्रस्टों और गैर-लाभकारी संस्थाओं (NGOs) के लिए आयकर विभाग ने एक बड़ा निर्देश जारी किया है। नई गाइडलाइनों के मुताबिक, हर ट्रस्ट को अपनी ट्रस्ट डीड में एक स्पष्ट और अनिवार्य ‘अपरिवर्तनीय (Irrevocable) क्लॉज’ शामिल करना होगा, अन्यथा संगठन को पंजीकरण और Section 12A के तहत मिलने वाली टैक्स छूट से वंचित किया जा सकता है।

सरकार का यह कदम गैर-लाभकारी क्षेत्र में बढ़ती शिकायतों, विदेशी फंडों के दुरुपयोग और संपत्ति के गलत उपयोग को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है।


---

🔷 क्या है यह अनिवार्य ‘Irrevocable Clause’?

आयकर विभाग के नए निर्देशों के अनुसार:

ट्रस्ट की संपत्ति हमेशा और स्थायी रूप से सार्वजनिक हित के लिए समर्पित रहेगी।

संपत्ति किसी भी स्थिति में संस्थापक, ट्रस्टी या उनके परिवारजनों को वापस नहीं दी जा सकती।

ट्रस्ट अपने उद्देश्य में ऐसा बदलाव नहीं कर सकता जो जनहित के विरुद्ध हो या निजी लाभ के लिए हो।


सीधे शब्दों में—ट्रस्ट की संपत्ति अब स्थायी रूप से जनता की है, निजी व्यक्तियों की नहीं।


---

🔷 विदेश में खर्च अब सिर्फ ‘विशेष अनुमति’ से

नए निर्देशों में एक और सख्त कदम शामिल है—
अब ट्रस्ट विदेश में कोई भी खर्च तभी कर पाएगा, जब:

आयकर विभाग या संबंधित प्राधिकरण की स्पष्ट अनुमति मिले,

और वह खर्च ट्रस्ट के उद्देश्यों तथा राष्ट्रीय हित के अनुरूप हो।


विदेशी फंडों के दुरुपयोग और आर्थिक विचलन को देखते हुए यह प्रावधान बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


---

🔷 सख्त चेतावनी: नियम नहीं माने तो ये होगी कार्रवाई

आयकर विभाग ने साफ कहा है कि नए निर्देशों का पालन न करने वाले ट्रस्टों के खिलाफ बड़े कदम उठाए जा सकते हैं:

नई रजिस्ट्रेशन अस्वीकार की जा सकती है

पुराने रजिस्ट्रेशन / रिन्यूअल रद्द हो सकते हैं

Section 12A की टैक्स छूट समाप्त की जा सकती है

फ़ंड उपयोग की विस्तृत जांच और कार्रवाई संभव है


यह पहली बार है जब सरकार ने ट्रस्ट डीड की भाषा तक को अनुपालन का आधार बनाया है।


---

🔷 2020 के बाद से क्यों बढ़ी निगरानी?

सरकार 2020 से लगातार गैर-लाभकारी क्षेत्र पर निगरानी मजबूत कर रही है।
मुख्य कारण:

फर्जी चैरिटी संगठनों में वृद्धि

फंड्स का निजी उपयोग

विदेशी धन का संदिग्ध उपयोग

पारदर्शिता की कमी

उद्देश्य से हटकर खर्च


इसी क्रम में यह नया निर्देश इस क्षेत्र को “अधिक व्यवस्थित, पारदर्शी और उत्तरदायी” बनाने का प्रयास है।


---

🔷 इस कदम का व्यापक असर

यह निर्णय देश के लाखों चैरिटेबल ट्रस्टों, धार्मिक संस्थाओं, सामाजिक संगठनों और NGOs को प्रभावित करेगा।
ट्रस्टों को अब:

अपनी ट्रस्ट डीड का संशोधन,

स्पष्ट अपरिवर्तनीय धारा,

विदेशी खर्च की प्रतिबंधात्मक व्यवस्था,

और पूरी पारदर्शी रिपोर्टिंग अपनानी होगी।


विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम चैरिटी सिस्टम को और अधिक भरोसेमंद बनाएगा।


---

🔶 निष्कर्ष

आयकर विभाग का यह फैसला गैर-लाभकारी क्षेत्र में संरचना और अनुशासन स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम है।
ट्रस्ट डीड में स्पष्ट ‘Irrevocable Clause’,
संपत्ति का स्थायी जनहित समर्पण,
और विदेशी खर्च पर नियंत्रण—
ये सब मिलकर देश की चैरिटी व्यवस्था को मजबूत और पारदर्शी बनाएंगे।

सरकार की यह सख्ती संकेत देती है कि आने वाले वर्षों में NGO और ट्रस्ट सेक्टर में अनुपालन-आधारित शासन और भी कड़ा होने जा रहा है।

21
1367 views
  
1 shares