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मितौलगढ़ के न सिर्फ शासक थे, कवि भी थे राजा लोने सिंह जी के नाम से जल्द बने विश्वविद्यालय बहुआयामी दल अध्यक्ष डॉ के. एम आमिश


राजधानी अवध शासक तराई क्षेत्र के अंतर्गत विशाल जनपद लखीमपुर खीरी के 1800 दशक के तहत मोहम्मदी जिला हुआ करता था जिला के निकट मितौलगढ़ जिसको 1950 के बाद मितौली के नाम से जाना जाने लगा धर्म की अनूठी मिसाल देने के साथ जनपद लखीमपुर खीरी को 33 महीने तक अंग्रेजों के अधीन से बचाने वाले हम सबके प्रिय स्वर्गीय शहीद राजा लोन सिंह जी न शिर्फ मितौली के शासक थे जबकि 1857 की क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाने वाले एक महान नायक के साथ साथ कवि भी साबित हुए, बहुआयामी संस्था पार्टी परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान डॉ के एम आमिश जी के माध्यम से गदर के फूल पुस्तक का संदर्भ देते हुए विभिन्न सोशल मीडिया संग्रहालय से गहन अध्ययन शोध करके उनके संघर्ष त्याग बलिदान धार्मिक महत्व की पहचान भारत की संस्कृति का अनोखा मिसाल स्थापित करने पर जिले में हम सबके राजा लोने सिंह जी के नाम से विशाल विश्वविद्यालय स्थापित करने की शासन प्रशासन से मांग की है वहीं छेत्री लोग ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए राजा लोने सिंह की गढ़ी को पर्यटन विभाग से पर्यटक स्थल घोषित कराए जाने की मांग कर रहे हैं जबकि वर्तमान समय में मात्र उनके नाम से एक इंटर कॉलेज स्थापित हो रहा है गढ़ी पर आज भी 7 कुआं में से 4 कुआं मौजूद हैं आज भी किले में जड़ी ईंटें 1857 की क्रांतिकारी गाथा को सुना रही हैं जहां से राजा लोने सिंह जी के अधीन आने वाले क्षेत्र में अंदरूनी सुरंग का निकासी बराबर, काच्यानी, अबगवां, अंधरौला कस्ता आदि जगहों पे आज भी सुरंगे देखी जा सकती है
1857 की आजादी की क्रांति की जीवन गाथा की निशानी आज भी मितौली बड़ी शान से गा रहा है जिनके निशान आज भी देखने को मिल रहे हैं 1857 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने जब इन इलाकों का अधिग्रहण करना प्रारंभ किया तब राजा लोन सिंह ने अधिग्रहण का विरोध किया और बेगम हजरत महल, के साथ मिलकर उनके पुत्र बिरजिस कदर, अहमदुल्लाह शाह की ताजपोसी करवाई और पूरे अवध प्रांत में मिलकर बेगम हजरत महल के साथ अंग्रेजों के खिलाओ मोर्चा लिया परंतु अपने ही कुछ लोग हर जनपद में अफसर व चाटुकार मौजूद रहते थे जिसमें फिरंगी दूर दराज में छोटे राजा और तालुकदार द्वारा लाई गई सूचनाओं पर निर्भर रहा करते थे वह कभी अपने अंग्रेज अकावों की जी हजूरी, चमचागिरी तो कभी नवाबी शान की तरफदारी में लगे रहते थे जिससे उनको पद प्रतिष्ठा उपहार मिला करता था 8 अक्टूबर 1857 में मेजर टॉम्बस के घुड़सवार व पैदल सैनिकों ने शाहजहांपुर में ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ व सरकार के विरोधियों का सफाई करते हुए मोहम्मदी, पुवायां, औरंगाबाद तथा बराबर होते हुए 8 नवंबर 1857 को मितौली किला पहुंचकर घेराबंदी कर देते हैं कथाओं के अनुसार प्रचलित है कि राजा लोन सिंह के जी के पास एक इच्छाधारी तोप हुआ करती थी क्षेत्रीय लोगों ने जिसका नाम लक्ष्मीनिया रखा था, जिसे इन्होंने अंग्रेजों से कुछ शर्तों के साथ हार चुके थे जिससे तोप अपने राजा का साथ देने से इनकार कर दिया और राजा लोन सिंह जी को हार का सामना करना पड़ा और वहीं से उनकी गिरफ्तारी हो गई और उनको कोलकाता जेल भेज दिया गया जहां पर आगे चलकर उनको फांसी चढ़ाकर शहीद कर दिया गया, कुछ स्थानीय लोगों के द्वारा बात से शाहजहांपुर अंग्रेज अफसर के द्वारा सह परिवार शरण मांगने पर राजा लोगों ने सिंह ने अपने भाई के निवास स्थान किचयानी में अंग्रेज अफसर के परिवार को शरण भी दिया और वहीं उन्हें के खिलाफ बगावत भी जारी थी यह धर्म की एक विशाल मिसाल को उजागर करता है जो अपने क्षेत्र की प्रजा को भावुकता राजा के प्रति सम्मान से भर देती है औरंगाबाद कस्बे के बाहर औरंगाबाद बर्बर मार्ग पर 1857 की क्रांति में मारे गए 16 अंग्रेजों की याद में ब्रिटिश सरकार में बना स्मृति स्तंभ आज भी मौजूद है जो की 1857 की गवाही का प्रतीक है 5 जून 1857 को यहीं पर क्रांतिकारियों ने 16 अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया था मारे गए अंग्रेज अधिकारियों की याद में ब्रिटिश सरकार ने इस स्तंभ का निर्माण कराया था जहां पर ईसाई समाज के लोग बड़े दिन 25 दिसंबर को प्रार्थना के लिए जाते रहते हैं पर बहुत ही अफसोस के साथ कहना व लिखना पड़ रहा है कि गढ़ी भूभाग गॉटा संख्या 3609 पौने दो एकड़ क्षेत्रफल में फैली हुई है जिसमें वर्तमान योगी समान विचारधारा योगी सरकार के द्वारा बुलडोजर चला कर
आवास बनाने का काम कर रही है गढ़ी को नष्टों नाबूत करने का काम किया गया है शायद उसका कारण यह भी हो सकता है की गढ़ी के निकट टीले पर एक मजार भी स्थापित है शायद मजार को बुलडोजर करने का मकसद रहा होगा वही 158 वर्ष की वर्षगांठ पूर्ण होने पर क्षेत्रीय पारिवारिक व प्रजा के लोगों के द्वारा लगातार विशाल मेले का आयोजन किया जाता रहा है, वही इस बार राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम का भी आयोजन किया गया, वहीं राजा लोन सिंह इंटर कॉलेज संस्थापक बलवीर सिंह जी के द्वारा वार्तालाप से गढ़ी को पर्यटक स्थल घोषित कराए जाने की व0मितौली चौराहे पर विशाल मूर्ति स्थापित रखे जाने की चर्चा की गई है ज्ञात हो कि 2012 में उत्तर प्रदेश परिसीमन में निर्मित कस्ता विधानसभा सीट आरक्षित है वर्तमान समय में विधानसभा में तीन लाख से अधिक मतदाता हैं जिनमें सामान्य और मुस्लिम लोग निर्णायक भूमिका निभाते हैं ऐसे में बहुआयामी दल के पदाधिकारी के द्वारा समय-समय पर शिक्षा के प्रति उनका समर्पण शिक्षा के क्षेत्र में उनके दान को देखकर जनपद में विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने की मांग भी की है अध्यक्ष के अनुसार इसका ज्ञापन तैयार किया जा चुका है जो हाल ही में शासन प्रशासन के माध्यम से उच्च स्तर शिक्षा विभाग को प्रेषित किया जाएगा बहुआयामी परिवार ने क्षेत्रीय प्रजा से अपील की है कि वह अपने महान शासक ना सही तो महान कवि मानकर ही विश्वविद्यालय की मांग में समर्थन जुटाएं
यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि राजा का हस्तलिखित काव्य ग्रंथ आज भी उनके पुरोहित परिवार के पास सुरक्षित है भगवान श्री कृष्ण की भक्ति से उत्प्रोत काव्य ग्रंथ को साहित्य की अनमोल धरोहर जो अपनी कविताओं को विविध छंदों में प्रस्तुत किया करते थे इस ग्रंथ की रचना सन 1858 में पूर्ण हुई उनका एक छंद बहुत प्रचलित है जो इस प्रकार से हैं
तालरी बाजत भूरि मृदंग, छूटहिं बहुरंग भयो नभ लालरी,
लालरी गुंजन की उरमान अमीर, भरयो भरि झोरिन शालरी,
शालरी होत बिलोके बिना बृजनंदन, आज रच्यो निज ख्यालरी,
ख्यालरी लोने कहा वरणै मनमोहन, नाचती दई करतालरी।
माना जा रहा है जिसकी उनके ग्रंथ की एक प्रति उनके पुरोहित परिवार रमाशंकर दीक्षित के पास सुरक्षित है उनका कहना है कि उनके पूर्वज पंडित बिहारी लाल दीक्षित राजा लोन सिंह के राजपुरोहित थे राजा लोन सिंह कवि थे इसकी पुष्टि करने के लिए बहुआयामी परिवार के अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर त्रिलोकी नाथ दीक्षित के संपादन में नवल प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक हिंदी साहित्यकारों के व्यक्तित्व और कृतित्व से सार्वजनिक हुई इस पुस्तक के शिव सिंह सरोज नमक अध्ययन में राजा लोने सिंह को कवि बताया गया है साथ ही उन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ कवियों की सम्मान की सूची में भी शामिल किए जाने की बात कही गई है
ऐसे में बहुआयामी संस्था पार्टी परिवार के माध्यम से जल्द ही राजा लोगों ने सिंह जी के सम्मान में 6 सूत्री मांगों के साथ सरकार को ज्ञापन प्रस्तुत करने जा रही है जिसमें संस्था अपनी प्रजा से समर्थन की अपील भी कर रही है !

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