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नया नियम सच्चाई उजागर कर गया—योग्यता जहाँ ज़रूरी, वहाँ ‘आरक्षण-धारी मॉडल’ बुरी तरह नाकाम; देश की व्यवस्था अब इनके भरोसे नहीं चल सकती”


✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से:

राजस्थान लोक सेवा आयोग की भर्ती में ‘न्यूनतम 40% योग्यता’ की शर्त ने वह सब उजागर कर दिया, जिसे देश वर्षों से महसूस तो कर रहा था, पर बोलने की हिम्मत किसी में नहीं थी।225 पदों में से सिर्फ़ 6 उम्मीदवार पास!ये आँकड़ा नहीं, चेतावनी है—योग्यता के बिना आरक्षण-निर्भर ढांचा देश के लिए खतरा बन चुका है।सवाल बड़ा है—जब पढ़ाई ज़ीरो हो, मेहनत नदारद हो, फिर भी नौकरी का भरोसा पक्का हो तो समाज कैसे आगे बढ़ेगा?

आरक्षण-धारी मानसिकता की पोल—योग्यता लगी तो ‘हकीकत’ बाहर आ गई-सरकार चाहें तो स्कूल मुफ्त कर दे, फीस माफ कर दे, किताबें दे दे… लेकिन अगर पढ़ना ही न चाहें और फिर भी नौकरी चाहिए, तो इसे प्रतिभा नहीं—राष्ट्रीय स्तर का ‘नकारापन’ कहना उचित होगा।

आज WHO की रिपोर्ट भी यही चीख-चीखकर कह रही है—“भारत के 60% डॉक्टर अयोग्य हैं।”
और इसका बड़ा कारण यह है कि“योग्यता नहीं, जाति पासपोर्ट बन गई है।”कैंपस में पढ़ाई कम, आरक्षण-आश्रित मानसिकता ज़्यादा।देश में आए दिन पुल गिर रहे हैं, सड़कें कुछ महीनों में उखड़ रही हैं, इमारतें ध्वस्त हो रही हैं—क्योंकि कुर्सियाँ योग्यता से नहीं, जाति-आधारित ‘सरकारी दमाद’ मॉडल से भरी जा रही हैं।

SC/ST एक्ट बना हथियार—न्याय के नाम पर उत्पीड़न का उद्योग-देश में आज एक नया चलन है—सवाल पूछो और सीधे SC/ST एक्ट में फँस जाओ।”हुआ भी ऐसा ही दमोह में—एक महिला पत्रकार ने स्कूल समय में वीडियो देखती शिक्षिका से सवाल पूछ लिया।पहले दबाव बनाया गया, फिर जब बात न बनी तो—सीधा SC/ST एक्ट में मामला दर्ज!ये एक्ट न्याय नहीं, अब बड़ा “व्यापार” बन चुका है—सरकार तुरन्त 7–8 लाख रुपए ‘मुआवजा’ के नाम पर दे देती है, और आरोपित जीवन भर चक्कर काटता है।जब कानून का दुरुपयोग हथियार बन जाए और समाज चुप बैठ जाए, तबअराजकता ही व्यवस्था बन जाती है।नैतिक पतन का परिणाम—भ्रष्टाचार चरम पर-जब प्रशासनिक पदों पर मेहनत करने वाले नहीं, बल्कि व्यवस्था का ‘फ्री-पास’ लेकर आने वाले लोग बैठेंगे,तो भ्रष्टाचार बढ़ेगा ही।आज हालत यह है कि—
• कोई जिम्मेदारी नहीं
• न योग्यता का भय
• न नौकरी जाने का डर
• ऊपर से SC/ST एक्ट की ढाल

ऐसे में अच्छी सड़कें, सुरक्षित पुल, ईमानदार स्कूल—इनकी उम्मीद करना भी मज़ाक बन गया है।

नेता मंचों से चिल्लाते रहें—“सबका साथ, सबका विश्वास”—पर सच्चाई वही है जो आँकड़े दिखा रहे हैं आज भी भारत की असली समस्या यही है—“योग्यता गिर रही है, और जाति-आधारित सुविधाएँ बढ़ रही हैं।”सरकारों को लगता है कि यह राजनीति का हथियार है…लेकिन सच यह है कि
यह राष्ट्र-निर्माण को भीतर ही भीतर खोखला कर रहा है।निष्कर्ष—नया भारत नहीं बन सकता जब तक योग्यता को फिर से सर्वोच्च स्थान न मिले I राजस्थान भर्ती का यह परिणाम एक आईना है—अगर न्यूनतम योग्यता लागू की जाए तो आधे विभाग खाली हो जाएँगे।इस स्थिति को सुधारना ही होगा, वरना आने वाले दिन और गंभीर होंगे।

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