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गोठवाल वाले खाल की पुलिया का मामला,कब बनेगी पता नही,स्वीकृति बस कागजों तक।

**विकास के नाम पर जनता से धोखा: छबड़ा क्षेत्र के गोठवाला खाल की पुलिया आज भी सिर्फ़ कागज़ों।*
​छबड़ा:कस्बे से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर है भुवाखेड़ी ग्राम।यहां चुनावों के समय किये विकास के बड़े-बड़े दावों के बीच,अब तक ग्रामो के विकास की दौड़ जीरो है और नेता जीत के बाद हीरो बने हुये है।अलबत्ता ग्रामों में कोई मरता है तो नेताओ के गमी के बीच आना-जाना हो जाता है।छबड़ा-धरनावदा रोड से भुवाखेड़ी ग्राम पंचायत को जोड़ने वाला रास्ता स्थानीय निवासियों के लिए हर साल जान का जोखिम बन जाता है। इस मार्ग पर पड़ने वाला 'गोठवाला खाल' अब एक छोटी नदी का रूप ले चुका है,उसी प्रकार ग्राम के पास विकसित बस्ती मुआखेड़ा भी सड़क के बीच पड़ने वाले नाले से बस्ती दो भागों में विभाजित हो जाती है,जिस पर भी वर्षों बाद भी ग्राम के मुहाने पर भी पुलिया का निर्माण नहीं हो पाया है। यह बरसाती दिनों में मौत का रास्ता बन जाता है,क्योंकि यहाँ बनी रपट (Causeway) पानी के तेज बहाव के आगे घुटने टेक देती है और मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो जाता है।
​विकास के एजेंडे में गौण,सिर्फ़ चुनावी मुद्दा,​स्थानीय ग्रामीणों का आक्रोश अब चरम पर है।उनका कहना है कि ग्राम पंचायत भुवाखेड़ी रोड़ के बीच-बीच बनी सभी रपटों पर पुलिया बने और गोठवाला खाल पर बड़ी पुलिया का निर्माण हो लेकिन इस खाल की पुलिया का मुद्दा अब तक 15 वर्षो से सिर्फ़ कागज़ों और चुनावी घोषणाओं तक सीमित रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि पुलिया की राशि स्वीकृत होने की खबरें भी स्थानीय नेताओं के माध्यम से सुर्खियों में रहीं,लेकिन ज़मीनी स्तर पर काम शुरू करने की ज़हमत किसी ने अब तक तो नहीं उठाई।पिछले समय
​"कांग्रेस का कार्यकाल गया और अब नई सरकार,भाजपा के ढाई वर्ष जा चुके हैं, लेकिन ग्रामों की सड़कों और पुलियाओं की सुध किसी ने नहीं ली। विकास के सपनों को लेकर अब रोष का वातावरण गर्म हो रहा है जो सत्ता को अबकी बार पुनः उखाड़ फेखेगा।"

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