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*घटतौली का शिकार हो रहे कार्डधारक पूर्ति विभाग बना तमाशबीन*

*घटतौली का शिकार हो रहे कार्डधारक पूर्ति विभाग बना तमाशबीन*

*40 वर्षों पहले शुरू हुई वसूली अभी तक बंद नहीं हुई कोटेदार से वसूली विभाग की परंपरा बन चुकी है*

*कोटेदारों से वसूली के बाद मालामाल हुए पूर्ति कार्यालय के अधिकारियों की भ्रष्टाचार निवारण संगठन से कब तक जांच होगी*

*कौशांबी।* सरकार द्वारा गरीबों को दी जाने वाली सरकारी राशन सामग्री पर विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता से कोटेदार डाका डाल रहे हैं पूरे जिले में घटतौली का खेल कोटा की दुकान में खुलेआम हो रहा है शिकायत के बाद अधिकारी केवल तमाशा देखने तक सीमित रह गए है जिससे गरीब कमजोर लोगों को पूरा राशन नहीं मिल पाता है बचे हुए राशन की कालाबाजारी करके कोटेदार मुनाफा कमा रहे हैं जिससे पूर्ति विभाग के अधिकारी प्रत्येक महीने के वसूली कर रहे हैं बताया जाता है कि 5000 रुपए प्रत्येक कोटेदार से प्रत्येक महीने पूर्ति विभाग के अधिकारी बीते कई वर्षों से वसूली कर रहे हैं आखिर इस वसूली पर रोक कब लगेगी और कोटेदारों की दुकान से वितरण होने वाले राशन की घटतौली पर कब रोक लगाई जाएगी हकीकत जानने के लिए चायल तहसील क्षेत्र के बलीपुर टाटा गांव में कोटेदार की दुकान की सच्चाई अखंड भारत संदेश समाचार पत्र की टीम ने देखी जहां कोटेदार राशन वितरण के समय खुलेआम राशन कम दे रहा था राशन की तौल में कार्ड धारकों के साथ वह घटटौली कर रहा है कार्ड धारकों को सरकारी राशन कम मिल रहा है लोगों का कहना है कि शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है जिससे यही प्रतीत हो रहा है कि जिला पूर्ति कार्यालय वसूली में शामिल है पूरे जिले के कोटेदारों से वसूली करने के चलते जिले की राशन वितरण व्यवस्था में मनमानी हो रही है हजारों कार्ड धारक परेशान है योजना का लाभ ग्रामीणों को मिलने के बजाय वसूली के चलते पूर्ति कार्यालय के अधिकारी योजना का लाभ उठाकर मालामाल हो रहे हैं 40 वर्षों पहले शुरू हुई वसूली अभी तक बंद नहीं हुई कोटेदार से वसूली विभाग की परंपरा बन चुकी है आखिर करोड़ों रुपए महीने की पूर्ति कार्यालय की वसूली पर कब रोक लगाई जाएगी गरीबों को मिलने वाले राशन पर कोटेदारों से वसूली के बाद मालामाल हुए पूर्ति कार्यालय के अधिकारियों की भ्रष्टाचार निवारण संगठन से कब तक जांच होगी पूर्ति विभाग की चौपट व्यवस्था में सुधार करने के बाबत जिले की जनता सरकार से जवाब चाहती है।
कौशाम्बी

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