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दसवीं बार की ऐतिहासिक शपथ: नीतीश कुमार एनडीए विधायक दल के नेता चुने गए

✒️ हरिदयाल तिवारी।
बिहार की राजनीति में बुधवार का दिन ऐतिहासिक मोड़ लेकर आया, जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सर्वसम्मति से जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना।
इससे साफ हो गया कि वे 20 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की दसवीं बार शपथ लेने जा रहे हैं—ऐसा रिकॉर्ड जो भारतीय राजनीति में शायद ही कोई नेता निकट भविष्य में दोहरा सके।

एनडीए की बैठक में पूर्ण सहमति

विधानसभा के सेंट्रल हॉल में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में भाजपा, जद(यू), लोजपा (आर), हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नवनिर्वाचित विधायकों ने हिस्सा लिया।
सभी ने एक स्वर में नीतीश कुमार के नेतृत्व को स्वीकार करते हुए कहा कि गठबंधन सरकार स्थिरता और विकास की दिशा में काम करेगी।

202 सीटों का मजबूत जनादेश

इस बार एनडीए को कुल 202 सीटों का समर्थन मिला है—
● भाजपा: 89
● जद(यू): 85
● लोजपा (आर): 19
● हम: 5
● राष्ट्रीय लोक मोर्चा: 4

भारी बहुमत ने गठबंधन सरकार के गठन को बेहद सहज और निर्णायक बना दिया है।

गांधी मैदान में शपथ-ग्रहण की तैयारियाँ

20 नवंबर को होने वाले शपथ-ग्रहण समारोह के लिए गांधी मैदान में व्यापक तैयारियाँ की जा रही हैं।
प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था, नागरिकों की आवाजाही, मीडिया प्रबंधन और वीवीआईपी आगमन को ध्यान में रखते हुए विशेष इंतज़ाम किए जा रहे हैं।
कई राष्ट्रीय नेता इस समारोह के साक्षी बनेंगे।

दसवीं शपथ — ऐसा कीर्तिमान जिसे तोड़ना मुश्किल

नीतीश कुमार इतने वर्षों में गठबंधनों, परिस्थितियों और राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बीच नेतृत्व की निरंतरता बनाए रखने में सफल रहे हैं।
उनकी यह दसवीं शपथ केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक ऐसा राजनीतिक कीर्तिमान है, जिसे आने वाले वर्षों में किसी भी मुख्यमंत्री द्वारा हासिल किया जाना बेहद कठिन माना जा रहा है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि:

लंबे अनुभव,

प्रशासनिक कौशल,

जनता के विश्वास,

और गठबंधन-प्रबंधन की क्षमता


ने उन्हें यह अद्वितीय उपलब्धि दिलाई है।
इस स्तर तक पहुँचना वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में किसी भी नेता के लिए लगभग असंभव दिखता है।

मंत्रिमंडल गठन पर मंथन

नए मंत्रिमंडल में भाजपा की भागीदारी बढ़ने के संकेत हैं, जबकि जद(यू) को महत्वपूर्ण विभाग मिलने की संभावना है।
शपथ-ग्रहण के 48 घंटे के भीतर मंत्रिमंडल विस्तार की उम्मीद की जा रही है।

बिहार नई दिशा की ओर

दसवीं शपथ के साथ बिहार की राजनीति एक नए अध्याय में प्रवेश कर रही है।
यह कदम न केवल नेतृत्व की निरंतरता का प्रतीक है, बल्कि आने वाले वर्षों में राज्य की दिशा, नीतियों और विकास-कार्य की रूपरेखा भी तय करेगा।

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