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कश्मीरी मुस्लिम

कश्मीर जनसंख्या की दृष्टि से बहुत छोटा सा प्रदेश है,लेकिन कश्मीर की मुस्लिम कम्युनिटी के डॉक्टर छात्र आपको पूरे देश की सभी सरकारी,प्राइवेट और अल्पसंख्यक मेडिकल कालेजों में मिलते हैं ! कश्मीर से जुड़े मुस्लिम डॉक्टर...अपनी मज़हबी पहचान के साथ दाड़ी, कभी कभी टोपी पहने हुए सब जगह दिखते हैं ! इसी तरह कश्मीर से जुड़े हज़ारों पैरा मेडिकल स्टाफ के लोग यहां-वहां सर्वत्र पाये जाते हैं !!.....
दरअसल 1990 के बाद आतंक और मारकाट के बाद कश्मीरी हिन्दूजन के घाटी से पूरे देश मे पलायन को देखते हुए केंद्र सरकार ने कश्मीरी हिन्दू विस्थापित छात्रों के लिए कुछ प्रतिशत (सीटें) आरक्षण की व्यवस्था की थी, मगर इस नियम का लाभ हिंदुओं को कश्मीरी हिन्दू छात्रों के अभाव के कारण नहीं मिला, तीस वर्षों से कश्मीरी मुस्लिम छात्र इस नियम का फायदा उठाते आये हैं !! यही नहीं,कश्मीरी मुस्लिम छात्र ..बंगलादेश, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान ,मलेशिया और कतिपय अन्य देशों के सस्ते मेडिकल कालेजों , यूनिवर्सिटीज से डॉक्टर बन कर लौटते हैं और भारत के अच्छे अच्छे अस्पतालों में नियुक्त हो जाते हैं,साथ मे प्राइवेट प्रैक्टिस तो होती ही है...
धारा 370 हटने के बाद भी शेष भारत के छात्र नई डोमिसाइल पालिसी के चलते कश्मीर के किसी भी संस्थान में अध्ययन के लिए सामान्यतः अनुमन्य नहीं है... जबकि पूरे भारत मे कश्मीरियों के लिए सीटें रिज़र्व हैं !...इसी डोमिसाइल पालिसी आधारित नियम के कारण माँ वैष्णो देवी मेडिकल यूनिवर्सिटी में 42 कश्मीरी मुस्लिम छात्रों का चयन हो गया...क्योकि शेष भारत का कोई छात्र डोमिसाइल पालिसी के तहत इस यूनिवर्सिटी में प्रवेश हेतु आवेदन कर ही नहीं सकता !
यह दुर्भाग्य इसलिए है कि देश का बहुसंख्यक वर्ग भारत के संविधान के अनुसार अपनी संस्थाएं (सिर्फ हिन्दूजन के लिए) नहीं खोल सकता है ! वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड की मेडिकल यूनिवर्सिटी में 42 मुस्लिम छात्र इसी पालिसी के चलते प्रवेश पा गए....

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