
Encounter: गुरिल्ला युद्ध में माहिर, AK-47 राइफल रखता था हिडमा, जंगलों में चार-स्तरीय सुरक्षा घेरे में रहता
26 से अधिक बड़े नक्सली हमलों में शामिल रहा हिडमा बस्तर क्षेत्र से माओवादी शीर्ष नेतृत्व में शामिल एकमात्र जनजातीय सदस्य था। वह देश के सबसे भयावह और कुख्यात उग्रवादी कमांडरों में से एक माना जाता था। गुरिल्ला युद्ध में माहिर हिडमा एके-47 राइफल रखने के लिए जाना जाता था। उसकी विशाल टुकड़ी के सदस्य अत्याधुनिक हथियारों से लैस रहते थे। जंगलों के अंदर उसकी चार-स्तरीय सुरक्षा घेरे के कारण वह वर्षों तक लापता रहा। उसकी मौत के समय उस पर एक करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था। हिडमा 1990 के दशक के अंत में एक जमीनी स्तर के आयोजक के रूप में संगठन में शामिल हुआ था। उसने पिछले दो दशकों में कई हमलों की साजिश रची और 2010 में ताड़मेटला (दंतेवाड़ा) हमले के बाद सबसे वांछित माओवादियों में शामिल हो गया। इस हमले में 76 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। उसने तब हमले को अंजाम देने में एक अन्य शीर्ष माओवादी कमांडर पापा राव की मदद की थी। छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने बताया कि 51 वर्षीय हिडमा ने कई वर्षों तक माओवादियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन नंबर 1 का नेतृत्व किया था, जो दंडकारण्य और बस्तर के अलावा आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में संगठन का सबसे मजबूत सैन्य गठन था।आदिवासी युवा शहरी नक्सलियों का शिकार न बनें
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बंडी संजय कुमार ने कहा कि निर्दोष आदिवासी युवाओं को शहरी नक्सलियों का शिकार नहीं बनना चाहिए और अपनी जान नहीं गंवानी चाहिए। हथियार उठाकर उन्होंने निर्दोष दलितों और आदिवासियों की हत्या की है। उन्होंने पुलिसकर्मियों की हत्या की है। माओवादियों के पास सिर्फ चार महीने बचे हैं। हमारा लक्ष्य मार्च 2026 तक माओवादियों का सफाया करना है। अमित शाह एक ऐसे नेता हैं जो अपनी बात पर अड़े रहते हैं। संजय कुमार ने कहा, माओवादी केंद्रीय समिति के सदस्य हिडमा और उसकी पत्नी को आखिरकार क्या हासिल हुआ? एसी कमरों में आलीशान जिंदगी जी रहे शहरी नक्सलियों के बहकावे में आकर अपनी (आदिवासी युवाओं की) जान मत गंवाओ।
मार्च की तय समय सीमा से पहले ही नक्सलवाद का सफाया संभव
देश के सबसे वांछित नक्सलियों में शामिल माडवी हिडमा के सफाए को सुरक्षा एजेंसियां नक्सल-विरोधी मोर्चे में बड़ी कामयाबी मान रही हैं। सूत्रों का कहना है कि नक्सलवाद के विरुद्ध मौजूदा अभियान की गति देखते हुए यह संभव है कि मार्च, 2026 की तय समय सीमा से पहले ही देश से वामपंथी उग्रवाद खत्म हो जाए। गृह मंत्री अमित शाह ने देश से माओवादी समस्या के उन्मूलन के लिए 31 मार्च, 2026 की समय सीमा तय की है। एक सुरक्षा समीक्षा बैठक में शाह ने नक्सल विरोधी अभियानों में लगे शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों को 30 नवंबर से पहले हिडमा को खत्म करने का निर्देश दिया था। इससे 12 दिन पहले ही उसे मार गिराया गया।
माओवादियों के लिए रणनीतिक झटका
26 से अधिक बड़े नक्सली हमलों में शामिल रहा हिडमा बस्तर क्षेत्र से माओवादी शीर्ष नेतृत्व में शामिल एकमात्र जनजातीय सदस्य था। वह देश के सबसे भयावह और कुख्यात उग्रवादी कमांडरों में से एक माना जाता था। सुरक्षाबलों का मानना है कि हिडमा के मारे जाने से माओवादियों को गहरा मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक झटका लगेगा।