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राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर प्रेस के सभी साथियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस एक स्वतंत्र और जीवंत प्रेस के प्रति हमारे समर्थन को दोहराने का दिन है, जो कि लोकतंत्र में महत्वपूर्ण है।

"पत्रकारिता का महत्व सिर्फ खबरें बताना नहीं, बल्कि समाज को सोचने और समझने की राह दिखाना है।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर प्रेस के सभी साथियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस से जुड़ी बातें👇

1. यह दिवस हर वर्ष 16 नवंबर को मनाया जाता है।

2. यह दिन भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना की याद में मनाया जाता है।

3. इसका उद्देश्य स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता को सम्मान देना है।

4. यह दिन मीडिया की जवाबदेही और नैतिकता की याद दिलाता है।

5. इस दिन उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए सम्मान दिया जाता है।
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"प्रत्येक व्यक्ति को निरंतर जप, अध्ययन, कार्य और उपदेश में संलग्न रहना चाहिए। यह पूर्ण कार्यक्रम आपको अन्यत्र व्यस्त रहने से बचाएगा। माया और कृष्ण सदैव साथ-साथ रहते हैं। या तो कोई कृष्ण की सेवा कर रहा है या माया की।"

(श्रील प्रभुपाद,ऋषभदेव को पत्र, बम्बई 16,नवंबर, 1970)
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प्रत्येक वस्तु श्रीकृष्ण की है। उनकी कृपा से हमें ऐश्वर्य अथवा धन प्राप्त होता है, परन्तु जब हम ऐश्वर्यशाली बन जाते हैं तो हम श्रीकृष्ण को भूल जाते हैं, क्योंकि माया बहुत प्रबल है।

(श्रील प्रभुपाद,दिल्ली, 16 नवम्बर 1971)
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ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद और हमारी गुरुपरंपरा की जय हो।"संदर्भ: भगवद् गीता 4.1- 4.3" क्या आपको पता है अर्जुन से भी पहले भगवत गीता का ज्ञान करोडो वर्ष पहले सूर्य देव को दिया गया था?

https://aimamedia.org/newsdetails.aspx?nid=496696&y=1
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Q👉कृष्ण सर्वज्ञता का वर्णन करें, और समझाएं कि उन्हें कोई क्यों नहीं जान सकता ,7.26 - 27 के संदर्भ में।

Ans 👉
1.कृष्ण प्रतेक जीव के हृदय में परमात्मा के रूप में स्थित है परंतु अल्पज्ञानी प्रत्यक्ष जीव के हृदय में परमात्मा रूप में स्थित तथा श्री भगवान के रूप में उपस्थित रहने पे भी श्री कृष्ण को परमपुरुष के रूप में नहीं जान पाते!

2."भगवान की अभिव्यक्ति तर्कों द्वारा नहीं की जा सकती और मन, वाणी और बुद्धि द्वारा उसे पाया नहीं जा सकता।"

3.केवल एक ही व्यक्ति भगवान को समझ सकता है जो स्वयं भगवान है। यदि वह किसी जीवात्मा पर अपनी कृपा करके और उसे अपनी बुद्धि दे देता है तब ऐसी भाग्यशाली आत्मा भगवान की शक्ति से सम्पन्न होकर भगवान को जान सकती है। भगवान को जानने के लिए भगवान की कृपा की अवधारणा का महत्व सर्वोपरि है।

4.भगवान सब कुछ जानने वाले और सर्वज्ञ हैं"
भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक में कहते हैं कि यद्यपि वह सब कुछ जानते हैं किन्तु उन्हें कोई नहीं जानता। भगवान का तेज, वैभव, महिमा, शक्तियाँ, गुण और आयाम अनन्त हैं। हमारी बुद्धि सीमित है और इसलिए ऐसा कोई उपाय नहीं जिससे यह सर्वशक्तिमान भगवान को समझ सके। सभी वैदिक ग्रंथ कहते हैं

"भगवान हमारे बौद्धिक तर्क की परिधि से परे हैं।"

यतो वाचो निवर्तन्ते अप्राप्य मनसा सह।
"हमारा मन और वाणी भगवान तक नहीं पहुँच सकती।"

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Bhagavad Gita Verse Of the Day: Chapter 4, Verse 18👇

कर्मण्यकर्म य: पश्येदकर्मणि च कर्म य: |
स बुद्धिमान्मनुष्येषु स युक्त: कृत्स्नकर्मकृत् || 18||

कर्मणि-कर्म; अकर्म-निष्क्रिय होना; यः-जो; पश्येत्-देखता है; अकर्मणि-अकर्म में; च-और; कर्म-कर्म; यः-जो; सः-वे; बुद्धिमान्–बुद्धिमान् है; मनुष्येषु-मनुष्यों में; सः-वे; युक्त:-योगी; कृत्स्न-कर्म-कृत्-सभी प्रकार के कर्मों को सम्पन्न करना।

Translation👇

BG 4.18: वे मनुष्य जो अकर्म में कर्म और कर्म में अकर्म को देखते हैं, वे सभी मनुष्यों में बुद्धिमान होते हैं। सभी प्रकार के कर्मों में प्रवृत्त रहकर भी वे योगी कहलाते हैं और अपने सभी कर्मों में पारंगत होते हैं।

Commentary👇

अकर्म में कर्मः एक प्रकार का अकर्म वह है जिसमें व्यक्ति अपने सामाजिक कर्त्तव्यों को बोझ समझते हुए एक आलसी की भांति उनका त्याग कर देता है। ऐसे लोग शारीरिक रूप से कर्म का त्याग तो करते हैं किन्तु उनका मन निरन्तर इन्द्रियों के विषयों का चिन्तन करता रहता है। इस प्रकार के लोग अकर्मण्य तो प्रतीत होते हैं लेकिन उनकी कृत्रिम अकर्मण्यता वास्तव में पापमय कार्य है। जब अर्जुन अपने कर्तव्य पालन से संकोच करता है तब श्रीकृष्ण उसे बोध कराते हैं कि ऐसा करने से उसे पाप लगेगा और वह अपनी इस अकर्मण्यता के कारण मृत्यु के पश्चात् निम्नतर लोकों में जाएगा।

कर्म में अकर्मः कुछ दूसरे प्रकार के अकर्म भी होते हैं जो योगियों द्वारा सम्पन्न किए जाते हैं। वे बिना फल की आसक्ति के अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हैं और अपने कर्मों के फलों को भगवान की सेवा में समर्पित करते हैं। यद्यपि वे सभी प्रकार के कर्म करते हैं किन्तु उनके कर्मफल नहीं भोगते क्योंकि उनका निजी सुख प्राप्त करने का मनोरथ नहीं होता। भारतीय इतिहास में ध्रुव, प्रह्लाद, युधिष्ठिर पृथु और अम्बरीष कई ऐसे महान राजा हुए हैं जिन्होंने अपनी पूर्ण योग्यता से अपने राजसी कर्त्तव्यों का निर्वहन किया और फिर भी उनका मन किसी प्रकार की लौकिक कामनाओं में लिप्त नहीं रहा। इसलिए उनके कार्यों को अकर्म कहा गया। अकर्म का एक अन्य नाम कर्मयोग भी है जिसकी विस्तृत चर्चा पिछले दो अध्यायों में की गयी है।
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*कुलाई में दो प्रसिद्ध मंदिर हैं, श्री विष्णुमूर्ति मंदिर और चित्रपुरा श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर।

*श्री श्री राधा गोविंद मंदिर की ओर से शुभकामनाएँ! इस्कॉन कुलई मैंगलोर```

*_⏰प्रतिदिन सुबह 4:30 आरती मैं और 5 बजे जप सत्र में शामिल हों_*

महामंत्र- हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।

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मंगलाचरण 👇

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,

1) ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जलाकया ।
चक्षुरुन्मिलितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम: ।।
श्री चैतन्यमनोऽभीष्टं स्थापितं येन भूतले ।
स्वयं रूप: कदा मह्यंददाति स्वपदान्न्तिकम् ।।

2) वन्देऽहं श्रीगुरो: श्रीयुतपदकमलं श्रीगुरुन् वैष्णवांचश्र ।
श्रीरूपं साग्रजातं सहगणरघुनाथनविथं तं सजीवम् ।।
सद्वैतं सावधूतं परिजनहितं कृष्णचैतन्यदेवं ।
श्रीराधाकृष्णपादान सहगणललिताश्रीविशाखानन्विताशार्च ।।

3) हे कृष्ण करुणासिन्धो दीनबन्धो जगत्पते ।
गोपेश गोपिकाकान्त राधाकान्त नमोऽस्तु ते।।

तप्तकाञ्चनगौरंगी राधे वृंदावनेश्वरी।
वृषभानुसुते देवि प्रणमामि हरिप्रिये।

4) वाञ्छाकल्पतरुभ्यश्र्च कृपासिंधुभय एव च।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नामः ।।

जय श्रीकृष्ण-चैतन्य प्रभु नित्यानन्द।
श्रीअद्वैत गदाधर श्रीवासादि गौरभक्तवृन्द।।

5) नम ॐ विष्णु-पादाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भूतले
श्रीमते भक्तिवेदांत-स्वामिन् इति नामिने ।

नमस्ते सारस्वते देवे गौर-वाणी-प्रचारिणे
निर्विशेष-शून्यवादि-पाश्चात्य-देश-तारिणे ॥

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
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*तुलसी प्रणाम मंत्र*

वृन्दायै तुलसी देवयायै प्रियायै केशवस्य च।
कृष्णभक्ति प्रद देवी सत्यवत्यै नमो नमः॥
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*वैष्णव प्रणाम मंत्र*
वाञ्छाकल्पतरुभ्यश्र्च कृपासिंधुभय एव च।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नामः ।।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण , कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम , राम राम हरे हरे।।
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https://youtu.be/4DoINeb65kI?si=Nx0U7ngHDX_nc9HU

Manglacharan

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https://youtu.be/YouHnPt3_Zo?si=_2m7OK4dxGOgPoBh

Manglacharan

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*प्रत्येक एकादशी के दिन भगवद गीता का एक विशेष श्लोक पाठ होता है, जिसमें सभी 18 अध्यायों के 700 श्लोक शामिल हैं*

👉 विभिन्न श्रेणियों में पाठ का समय इस प्रकार है:

*वयस्क द्वारा श्लोक पाठ :*

समय: सुबह 10:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक
ज़ूम लिंक: https://t.ly/temple
मीटिंग आईडी: 4940263157
पासकोड: 108

*युवा द्वारा श्लोक पाठ :*

समय: शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक ज़ूम लिंक: https://t.ly/ISKCONFacility
मीटिंग आईडी: 510 227 9099
पासकोड: 108

*बच्चों द्वारा श्लोक पाठ :*

समय: शाम 4:30 बजे से शाम 7:30 बजे तक IST
ज़ूम लिंक: https://t.ly/temple
मीटिंग आईडी: 4940263157
पासकोड: 108

*लाइव यूट्यूब लिंक:* https://t.ly/iskmng
हरे कृष्णा

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My First Presentation Of Bhagavad Geeta Level 4 On 19-10-2024 .Starts in YouTube 1.18.52-1.21.05 Hours 👇

https://youtu.be/c2NjXWWZP6Y

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thanks & regards

Jeetendra Sharan
(ICTRD Certified Digital Marketing Expert )

👉https://aimamedia.org/newsdetails.aspx?nid=493219&y=1

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