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बीईपीसी (BEPC) कर्मियों को राज्य कर्मी के समान सातवां वेतनमान देने पर फर्जीवाड़े के आरोप, निगरानी जांच की माँग

बीईपीसी (BEPC) कर्मियों को राज्य कर्मी के समान सातवां वेतनमान देने पर फर्जीवाड़े के आरोप, निगरानी जांच की माँग

पटना, संवाददाता।
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (BEPC) में संविदा (Contractual) पर कार्यरत कर्मियों को राज्य कर्मियों के समान सातवें वेतनमान का लाभ देने को लेकर गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। इस संबंध में विभागीय पत्रों एवं अभिलेखों से यह स्पष्ट हो गया है कि बिना राज्य सरकार या वित्त विभाग की अनुमति के, परिषद स्तर पर ही गुपचुप तरीके से नियमों का उल्लंघन करते हुए यह लाभ दिया गया।

फर्जी रिपोर्ट और नियमावली में हेरफेर के आरोप

सूत्रों के अनुसार, राज्य परियोजना निदेशक, बीईपीसी के पत्रांक 3243 (दिनांक 16 जुलाई 2025), 4170 (दिनांक 3 सितंबर 2025) एवं 4970 (दिनांक 15 अक्टूबर 2025) के आधार पर परिषद के संविदा कर्मियों को राज्य कर्मियों के समान सातवां वेतनमान दिया गया।
यह निर्णय सामान्य परिषद अध्यक्ष के स्तर से लिया गया, जबकि यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर था। इस प्रक्रिया से राज्य को भारी वित्तीय क्षति पहुँचने की आशंका जताई गई है।

समिति रिपोर्ट में अनियमितता का खुलासा

मामले की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति के अध्यक्ष एमडीएम निदेशक विनायक मिश्रा ने प्रतिकूल रिपोर्ट दी थी, जिसके बावजूद नई समिति गठित कर मनमाफिक रिपोर्ट हासिल कर ली गई।
बाद में समिति के ही दो सदस्य — अब्दुस सलाम अंसारी (उप निदेशक, माध्यमिक शिक्षा) और अमर भूषण (उपनिदेशक, शिक्षा विभाग) — ने अपनी अनुशंसा वापस लेते हुए बीईपीसी के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि समिति के समक्ष फर्जी अभिलेख और झूठी संशोधित नियमावली (2010) प्रस्तुत की गई।

आईएएस से भी अधिक वेतन तय!

आरोप है कि फर्जी 2010 नियमावली के अनुसार, बीईपीसी के एक पदाधिकार ADPC का वेतनमान लेवल-11 (6600 GP) तय किया गया, जबकि BPSC से चयनित अधिकारियों का अधिकतम एंट्री पे लेवल-9 और UPSC/केंद्र सेवा अधिकारियों का लेवल-10 है।
इस प्रकार एक संविदा कर्मी को आईएएस से भी अधिक वेतन दिया गया — जो वित्तीय फर्जीवाड़े का स्पष्ट उदाहरण है।

आचार संहिता में बैठक बुलाने पर सवाल

सूत्रों के अनुसार, वर्तमान बिहार विधानसभा आम निर्वाचन 2025 की आचार संहिता के दौरान भी बीईपीसी प्रशासन द्वारा 11 नवंबर 2025 को इस फर्जी निर्णय की स्वीकृति हेतु बैठक बुलाई गई है। विशेषज्ञों ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए रोक लगाने की माँग की है।

शिक्षक संगठन ने जताई नाराजगी

शिक्षक संगठनों ने कहा है कि जहाँ नियोजित शिक्षक, प्रधान शिक्षक और BPSC चयनित शिक्षकों को अब तक सातवां वेतनमान नहीं मिला है, वहीं संविदा कर्मियों को नियम विरुद्ध तरीके से यह लाभ देना नाइंसाफी है।
उन्होंने राज्य सरकार से माँग की है कि इन आदेशों को तत्काल रद्द किया जाए, फर्जी भुगतान पर निगरानी जांच कर दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज की जाए और राजस्व हानि को रोका जाए।


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साक्ष्य संलग्न है.


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