
दस साल से धूल खा रहा “अंबेकर शास्त्री चौक” प्रस्ताव — सत्ता की चुप्पी और विपक्ष की मौन स्वीकृति पर जनता का प्रहार
नगर परिषद् बैतूल ने वर्ष 2010 में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर नगर के एक प्रमुख चौक का नामकरण स्व. श्री अंबेकर शास्त्री चौक करने तथा वहाँ उनकी प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया था।
लेकिन पंद्रह वर्ष बाद भी न प्रतिमा लगी, न चौक का नाम बदला — केवल फाइलों में आश्वासन और नेताओं की राजनीति चलती रही।
दैनिक भास्कर ने 6 अक्टूबर 2010 को इस घोषणा को प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जबकि पत्रिका ने 15 अगस्त 2020 को फिर सवाल उठाया कि —
> “नपा प्रस्ताव के दस वर्ष बाद भी न प्रतिमा लगी, न नामकरण हुआ।”
और आज 2025 में भी स्थिति जस की तस है।
सवाल यह है कि —
➡️ जब प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ था, तो इसे अमल में लाने से किसे डर है?
➡️ क्या जनता के संकल्प पर राजनीति की धूल जमी रहनी चाहिए?
जनता अब खुलकर सवाल कर रही है कि
> “सत्ता में रहने वालों ने इसे भुला दिया और विपक्ष ने भी सुविधा से मौन साध लिया।”
जनता का आक्रोश अब उफान पर है।
नगर के नागरिकों का कहना है —
> “जब किसी क्रांतिवीर, समाजसेवी और राष्ट्रनिष्ठ व्यक्तित्व को सम्मान देने का निर्णय खुद जनप्रतिनिधियों ने लिया, तो फिर उसे पूरा न करना सिर्फ़ राजनीतिक उदासीनता नहीं, बल्कि जनभावना के साथ धोखा है।”
अब जनसंगठन और युवा वर्ग खुलकर यह मांग कर रहे हैं कि नगर परिषद् तत्काल स्व. अंबेकर शास्त्री जी की प्रतिमा चौक पर स्थापित करे और इसे नगर के गौरव स्थल के रूप में घोषित करे।
यदि सत्ता और विपक्ष दोनों ने अब भी चुप्पी नहीं तोड़ी, तो यह मुद्दा जनांदोलन का रूप ले सकता है।
जनता ने अब साफ़ कह दिया है —
> “जो शास्त्री जी के नाम पर चुप रहेगा, वह जनता के सम्मान का हक़दार नहीं रहेगा।”