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गुड़ामालानी कृषि विज्ञान केंद्र में मनमानी पर किसानों का फूटा गुस्सा, पारदर्शिता की उठी मांग


गुड़ामालानी : क्षेत्र के किसानों में इन दिनों कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) गुड़ामालानी के कार्यों को लेकर गहरी नाराजगी देखी जा रही है। किसानों का आरोप है क्रषि विज्ञानं केंद्र में रविवार को छुट्टी होने से अकेले केंद्र में अधिकारी बाबूलाल जाट अपनी मनमानी पर उतारू हैं SC /SP योजना के तहत केंद्र की योजनाओं का लाभ सिर्फ अपने चेहते लोगों को ही दे रहे हैं। खासतौर पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति (SC/ST) वर्ग के लिए जारी की जाने वाली सामग्री और योजनाओं का वितरण पारदर्शी तरीके से होकर चेहते लोगों तक ही सीमित है।

ग्रामीणों ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना किसानों को वैज्ञानिक पद्धतियों से खेती के लिए जागरूक करने, नई तकनीकों से जोड़ने और कृषि उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। लेकिन आज केंद्र अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है। किसानों का कहना है कि अधिकारी और उनके करीबी कर्मचारी योजनाओं की जानकारी आम किसानों तक नहीं पहुंचने देते, जिससे लाभ केवल कुछ विशेष लोगों तक सिमट कर रह जाता है।
अधिकारी पर पक्षपात के गंभीर आरोप
स्थानीय किसान सांवला राम का कहना है कि “मेरे पिता जगरामा राम पहली मीटिंग में पहुंचे थे, लेकिन अधिकारी बाबूलाल जाट ने उनकी उपस्थिति को नजर अंदाज करते हुए उनका आधार कार्ड तक फेंक दिया। यहां तक कि रजिस्टर में भी उनकी एंट्री नहीं की गई।”
सांवला राम ने आगे कहा कि “यह दर्शाता है कि कृषि विज्ञान केंद्र में किस हद तक पक्षपात और मनमानी हो रही है। जो लोग अधिकारी के करीबी हैं, केवल वही योजनाओं का लाभ उठा पा रहे हैं, जबकि असली किसान बार-बार केंद्र के चक्कर लगाकर भी खाली हाथ लौट जाते हैं।”
कागजों में सीमित रह गई योजनाएं
स्थानीय किसान शंकराराम, वाला राम, देदाराम, अजित कुमार, अमराराम, मदन लाल और सांवला राम ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र से मिलने वाली सामग्री और प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना था, लेकिन अब यह योजनाएं कागजों तक सीमित होकर रह गई हैं।
किसानों ने बताया कि केंद्र की ओर से न तो गांवों में कोई सूचना दी जाती है और न ही प्रचार-प्रसार किया जाता है। कई बार ग्रामीणों ने जानकारी के लिए केंद्र से संपर्क किया, मगर उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला। “अगर किसी योजना की जानकारी समय पर दी जाए तो हम भी आवेदन कर उसका लाभ ले सकते हैं, लेकिन जानबूझकर सूचना छिपाई जाती है,” किसानों ने आरोप लगाया।

भ्रष्टाचार के दायरे में आ रहा है यह खेल

किसानों का कहना है कि योजनाओं की जानकारी और लाभ केवल चुनिंदा लोगों तक सीमित रखना सीधा भ्रष्टाचार का मामला है। कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में पारदर्शिता न होने से किसान ठगा महसूस कर रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि यह केवल किसी एक गांव का नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र का मामला है। हर गांव में यही शिकायतें सामने आ रही हैं कि जिनके पास पहुंच या पहचान है, उन्हें ही लाभ मिलता है।
किसानों ने यह भी बताया कि SC/ST वर्ग के नाम पर आने वाली सामग्री, जैसे कृषि उपकरण, उर्वरक, बीज, कीटनाशक, स्प्रे पंप, पॉलीहाउस, या प्रशिक्षण सुविधाएं, सब कुछ केवल कुछ ही लोगों को दे दिया जाता है। अन्य पात्र किसान जानकारी के अभाव में वंचित रह जाते हैं।
“पारदर्शिता लाना प्रशासन की जिम्मेदारी”
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों से मांग की है कि कृषि विज्ञान केंद्र गुड़ामालानी की कार्यप्रणाली की जांच कराई जाए। किसानों का कहना है कि अगर समय रहते जांच नहीं की गई तो आने वाले दिनों में किसानों का आक्रोश बढ़ सकता है।
“यह केंद्र किसानों के लिए बना है, अधिकारियों के लिए नहीं। जब तक पारदर्शिता नहीं लाई जाएगी, तब तक किसानों का विश्वास वापस नहीं लौटेगा,
प्रचार और प्रशिक्षण कार्यक्रम ठप
गांवों के किसानों ने यह भी शिकायत की कि पहले कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से कृषि और प्रदर्शन कार्यशालाएं आयोजित की जाती थीं। न तो किसानों को नई तकनीकों के बारे में बताया जा रहा है और न ही उन्हें किसी भी योजना का लाभ समय पर दिया जा रहा है।

किसानों का कहना है कि कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मचारियों को गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद करना चाहिए, उनकी समस्याएं समझनी चाहिए, लेकिन यहां उल्टा हो रहा है। “हमारी जानकारी और हक दोनों दबा दिए गए हैं,” किसानों ने कहा।
केंद्र की जवाबदेही तय होनी चाहिए
किसानों ने यह भी कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र का काम केवल रिपोर्ट तैयार कर ऊपर भेजना नहीं है, बल्कि धरातल पर किसानों के बीच पहुंचकर काम करना है। अगर केंद्र सही तरीके से कार्य करे तो किसानों को नई तकनीकों का बड़ा लाभ मिल सकता है।
“हमें स्मार्ट कृषि, ड्रिप सिंचाई, नई किस्म के बीज और जैविक खेती के बारे में बताया जाना चाहिए, लेकिन अधिकारी केवल अपने हित में काम कर रहे हैं,
जांच की मांग और कार्रवाई की अपेक्षा
किसानों ने मांग की है कि कृषि विज्ञान केंद्र गुड़ामालानी की पूरी कार्यप्रणाली की जांच की जाए, और जिन कर्मचारियों या अधिकारियों पर मनमानी व पक्षपात के आरोप सिद्ध हों, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
किसानों का संदेश : “हम भी बदलाव चाहते हैं”
ग्रामीणों का कहना है कि केंद्र की योजनाएं अगर ईमानदारी से लागू हों तो क्षेत्र की कृषि में बड़ा सुधार हो सकता है। किसान अब सिर्फ वादा नहीं, बल्कि पारदर्शी व्यवस्था की उम्मीद कर रहे हैं।
“कृषि विज्ञान केंद्र अगर किसानों का केंद्र है तो उसके दरवाजे सभी के लिए खुले होने चाहिए, न कि कुछ खास लोगों के लिए,” किसानों ने कहा।
निष्कर्ष :
गुड़ामालानी कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़ी यह नाराजगी केवल स्थानीय स्तर की समस्या नहीं है, बल्कि यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर किसानों के नाम पर चलने वाली योजनाओं का असली लाभ किस तक पहुंच रहा है। किसानों की मांग है कि अब वक्त आ गया है जब जवाब देही तय की जाए और योजनाओं को सही मायनों में किसानों तक पहुंचाया जाए — ताकि कृषि विज्ञान केंद्र फिर से अपने वास्तविक उद्देश्य को पूरा कर सके

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