अब 100% आरक्षण – क्या ‘योग्यता’ अब अपराध बन गई है?”
✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से
मध्यप्रदेश खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग की नई भर्ती सूची ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अब सरकारी नौकरियाँ “योग्यता” से नहीं, बल्कि “जाति” से तय होंगी। कुल 65 पदों में 100% आरक्षण — यानी सीधे शब्दों में कहा जाए तो सवर्ण समाज के लिए अब कोई स्थान नहीं!
क्या यही है “सबका साथ, सबका विकास”?या फिर अब नया नारा बन गया है — “कुछ का साथ, बाकी का विनाश”?
सरकार को शायद यह याद नहीं कि जो वर्ग कर देता है, जो पढ़ता-लिखता है, जो देश की अर्थव्यवस्था का पहिया चलाता है — अगर उसी को अवसरों से वंचित कर दिया गया, तो व्यवस्था ढह जाएगी।
यह आरक्षण नहीं, बल्कि “भविष्य आरक्षित करने की राजनीति” है।और जब नौकरी पाने से पहले ही किसी को केवल उसकी जाति से बाहर कर दिया जाए, तो यह लोकतंत्र नहीं, “जाति तंत्र”कहलाता है।
👉 अब वक्त है सोचने का —“क्या हम सच में स्वतंत्र हैं या सिर्फ जातिगत गणनाओं के गुलाम बन चुके हैं?”
"आरक्षण की आड़ में जब न्याय का गला घोंटा जाएगा,तो राष्ट्र का भविष्य भी बेरोजगार रह जाएगा।"