logo

"70 वर्षीय शब्बीर खान की दरिंदगी ने किया मानवता को शर्मसार – क्या अब भी सोई रहेगी सरकार?"

✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से जो खबर सामने आई है, उसने न केवल इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि समाज की संवेदनाओं को भी झुलसा दिया है। जिला अस्पताल परिसर में 70 वर्षीय रिक्शा चालक शब्बीर खान ने 13 साल के मासूम बच्चे के साथ पाँच दिनों तक जो दरिंदगी की, उसने यह साबित कर दिया कि उम्र नहीं, बल्कि सोच ही इंसान या दरिंदा बनाती है।
यह घटना केवल एक बच्चा और एक बूढ़े का मामला नहीं है — यह हमारे तंत्र, हमारी प्रशासनिक संवेदनहीनता और हमारी न्याय प्रणाली की सुस्ती पर तीखा तमाचा है। अस्पताल जैसे “जीवन बचाने के स्थल” पर इस तरह का कृत्य होना बताता है कि समाज अब किस अंधेरे की ओर बढ़ रहा है।
सरकारें आएंगी-जाएंगी, मगर सवाल यह है — जब तक इन दरिंदों के लिए फांसी या आजीवन कठोर कारावास जैसा “निश्चित दंड” नहीं तय किया जाएगा, तब तक ऐसे शैतान मासूमियत को यूँ ही कुचलते रहेंगे।
कानून का डर तब ही असर करेगा जब हर शब्बीर खान को उसी अस्पताल के सामने “न्याय की नजीर” बना दिया जाए जहाँ उसने पाप किया। वरना ये दरिंदे समाज के चेहरे पर कालिख पोतते रहेंगे और हम केवल शर्म से सिर झुकाते रहेंगे।
👉 यह समय है जागने का — सरकारों से सवाल करने का — “कब तक मासूमियत यूँ ही नोची जाती रहेगी?”
"दया के धर्म में अब कठोरता का अध्याय जोड़ना होगा,
वरना इंसानियत की किताब जल्द ही बंद हो जाएगी।"

2
3873 views