
सारणी में शराब की अवैध बिक्री और मनमानी कीमतें: करोड़ों के ठेके का दुरुपयोग, प्रशासन की भूमिका पर सवाल
सारणी। सारनी में शासकीय शराब दुकानों पर बिना रेट लिस्ट लगाएं निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर शराब बेचे जाने का मामला सामने आया है, जिससे स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली और नियमों के पालन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। शिवहरे फर्म, जिसने करोड़ों की बोली लगाकर शराब ठेके प्राप्त किए हैं, नियमों का उल्लंघन करते हुए उपभोक्ताओं से मनमानी वसूली कर रही है। यह स्थिति प्रदेश को नशा मुक्त बनाने के सरकारी अभियान के उद्देश्यों के ठीक विपरीत है।
शासकीय दुकानों के नियमों का उल्लंघन, ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध सप्लाई का खुलासा
सारनी शहर में भले ही केवल दो शासकीय शराब की दुकानें हैं, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी-छोटी दुकानों पर भी शराब की धड़ल्ले से सप्लाई हो रही है। यह सीधा संकेत है कि ठेकेदार द्वारा सरकारी नियमों को ताक पर रखकर शराब की अवैध बिक्री को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह दोहरा मापदंड न केवल आमजन के लिए चिंता का विषय है, बल्कि उन गंभीर प्रयासों को भी कमजोर करता है जो प्रदेश को नशा मुक्त बनाने के लिए किए जा रहे हैं।
डीजीपी के 'नशा से दूरी है जरूरी' अभियान पर पानी फेरने की कोशिश
जहां एक ओर प्रदेश के डीजीपी श्री कैलाश मकवाना "नशा से दूरी है जरूरी" जैसे नारों के साथ प्रदेश को नशे के दलदल से बाहर निकालने का बीड़ा उठाए हुए हैं, वहीं दूसरी ओर बैतूल जिले में, विशेषकर सारनी और उसके आसपास के क्षेत्रों में, शराब ठेकेदार शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाकों को नशे की गिरफ्त में धकेलने का काम कर रहे हैं। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि कानून के प्रति भी उपेक्षा का भाव दर्शाता है।
प्रशासन की लाचारी या मिलीभगत?
इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। यदि शिकायतें मिल रही हैं और स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन हो रहा है, तो कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? क्या प्रशासन इन उल्लंघनों से अनभिज्ञ है, या फिर कोई ऐसी लाचारी है जो उन्हें प्रभावी कदम उठाने से रोक रही है? करोड़ों के ठेके के पीछे की आर्थिक शक्ति प्रशासन के निर्णयों को प्रभावित कर रही है, यह एक गंभीर आरोप है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब का जाल: युवाओं के भविष्य पर खतरा
ग्रामीण क्षेत्रों की छोटी दुकानों पर शराब की उपलब्धता युवाओं को नशे की ओर धकेलने का एक आसान रास्ता बन गई है। इससे न केवल उनके स्वास्थ्य पर, बल्कि उनके भविष्य पर भी गहरा असर पड़ रहा है। सामाजिक और आर्थिक समस्याएं बढ़ रही हैं, और प्रशासन की निष्क्रियता इस समस्या को और जटिल बना रही है।
इनका कहना है
आपके द्वारा हमें जानकारी मिली है कि शासकीय शराब की ठेके की दुकानों में रेट लिस्ट चस्पा नहीं किया गया है जिसके लिए ठेकेदार को अवगत कराया जाएगा। एमआरपी से ऊपर शराब बिक्री की जा रही है और ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी दुकानों में सप्लाई की जा रही है इसकी जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
लीला मुकाती,
जिला आबकारी अधिकारी, बैतूल