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संजीवनी - प्रेम और विश्वास की प्रतिक पूनम बाला जी l

इंसान को एक ही जीवन मिलता है और वो यह तय करता है की उसको ये जीवन कैसे जीना है l
जहां एक ओर कुछ लोग अपने ही मतलब और स्वार्थ के लिए जीते हैं वहां दूसरी ओर कुछ ऐसे भी इंसान हैं जो अपनी ज़िन्दगी तो जी ही रहे हैं इसके साथ साथ दूसरों को भी जीना सीखा रहे हैं l महिला वर्ग में कई ऐसी भी हैं जिनको कोई काम नहीं करना पड़ता और कई ऐसी भी हैं जिन्हे रोज़मर्रा के काम काज से फुर्सत ही नहीं मिलती और हमेशा अपनी इच्छाओं का दमन कर घुट घुट कर जीने के लिए मजबूर हो जाती है l मैं आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताता हु जो एक मिसाल हैं वो ऐसी महिलाओं को प्रेरित करती हैं जो अपनी ज़िन्दगी को न जीते हुवे दूसरों के अधीन होकर रह गयी हैं l मैं बात कर रहा हूँ श्रीमती पूनम बाला जी की जो न केवल एक अच्छी इंसान है बल्कि खुद एक मार्गदर्शक भी सब l ये संजीवनी के नाम से एक ग्रुप चलाती हैं और इसमें लगभग 600 महिलायें है जो पूनम बाला जी को माँ कहकर बुलाती हैं और पूनम जी भी इनसे बहुत स्नेह करती हैं और इन सब महिलाओं को ज़िन्दगी को कैसे जीना है, उसके लिए प्रेरित करती हैंl हाल ही में उनके ग्रुप के साथ मुझे और मेरी पत्नी जैस्मिन कौर को नेतरहाट जाने का सौभाग प्राप्त हुआ वहां के पलों की कुछ तस्वीर और वीडियो साझा कर रहा हूँ l वहां मैंने पाया की जो महिलायें घर के काम काजों में इतनी व्यस्त हो गयी और इस वजह से उनकी अहमियत धूमिल हो रही थी उन सबने यहाँ (नेतरहाट ) में आकर खूब आनंद किया और अपनी जिंदगी के पलों को इतना रोमांचित बनाया l बहुत खुशी की अनुभूति हुई सबसे मिलकर और ये समझ आया की आज भी पूनम बाला जी जैसे अच्छे इंसान हैं जो न केवल जिंदगी जीने की राह दिखते है बल्कि उसपर कंधे से कन्धा मिलाकर चलते भी हैं l संजीवनी की पूरी टीम को सलाम l

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