logo

भारत के राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ की रचना को आज 150 वर्ष पूरे....

भारत के राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ की रचना को आज 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस अमर गीत की रचना 7 नवंबर 1875 को महान साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी ने बंगाल के कांतलपाड़ा गाँव में की थी। उन्होंने इसे संस्कृतनिष्ठ बंगाली भाषा में लिखा। बाद में यह गीत उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ (1882) में प्रकाशित हुआ, जिसने इसे देशभर में अमर बना दिया।

‘वंदे मातरम्’ का अर्थ है — “माँ, मैं तेरी वंदना करता हूँ।” यह गीत भारत माता की आराधना और देशभक्ति की भावना का प्रतीक बना। कहा जाता है कि बंकिमचंद्र चटर्जी ने यह गीत 1870 के दशक में ही रचा था, जब देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। उन्होंने इस गीत के माध्यम से देशवासियों में स्वतंत्रता की चेतना जगाई।

1886 में इसे पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल किया गया। इसी वर्ष रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस गीत को सुर दिया और मंच पर गाया। धीरे-धीरे यह गीत कांग्रेस अधिवेशनों का अभिन्न हिस्सा बन गया और स्वतंत्रता संग्राम का प्रेरणास्रोत बना।

हालाँकि, 1937 में ‘वंदे मातरम्’ को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, क्योंकि इसके अंतिम चार अंतरे धार्मिक भाव लिए हुए माने गए। इसके बाद केवल पहले दो अंतरे को ही राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता दी गई। स्वतंत्र भारत में ‘जन गण मन’ को राष्ट्रीय गान का दर्जा दिया गया, जबकि ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रीय गीत के रूप में राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ।

आज भी ‘वंदे मातरम्’ देशभक्ति की भावना को जगाने वाला सबसे प्रभावशाली गीत है। इसके 150 वर्ष पूरे होने पर यह गीत न केवल इतिहास का हिस्सा है, बल्कि हर भारतीय के हृदय में बसने वाली भावनाओं का प्रतीक बन चुका है।

शिशिर गुप्ता, AIMA मीडिया

0
12 views