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शंकराचार्य मठ में पूजा के बाद भिक्षाटन को निकले बौद्ध भिक्षु

भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया में भिक्षु बनने के बाद भिक्षाटन बौद्ध भिक्षुओं के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन हुआ है। थाईलैंड से आए बौद्ध भिक्षुओं के एक दल ने शनिवार को बोधगया के ऐतिहासिक प्राचीन शंकराचार्य मठ में पूजा के बाद निरंजना नदी से होते हुए भिक्षाटन के लिए आसपास के गांवों में निकले। इसमें 30 से अधिक भिक्षु की दीक्षा लेने वाले थाईलैंड के अधिकारी, व्यवसायी, सामाजिक कार्यकर्ता सहित अन्य शामिल हैं। बौद्ध परंपरा के अनुसार दीक्षा ग्रहण करने वाले भिक्षुओं को चीवर, संघाटी, आसन, कुशन, छाता, भिक्षापात्र सहित दैनिक उपयोग की आवश्यक सामग्री प्रदान की जाती है। इनमें चीवर और भिक्षापात्र का विशेष महत्व होता है। हालांकि भिक्षाटन कार्य बौद्ध भिक्षुओं का यह पिछले कुछ दिनों से लगातार कर रहा है। थाईलैंड सहित कई देशों में भिक्षाटन की यह प्राचीन परंपरा आज भी पूरी श्रद्धा के साथ निभाई जाती है। गृहस्थ लोग भिक्षुओं को आहार, वस्त्र और औषधि उपलब्ध कराते हैं, ताकि वे सांसारिक चिंताओं से मुक्त होकर ध्यान, साधना और धर्मोपदेश में समर्पित रह सकें। बोधगया में इस जीवंत परंपरा का दर्शन प्रतिदिन श्रद्धालु और पर्यटक करते हैं।

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