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फूटा किसानों का आक्रोश: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का पुतला दहन, कांग्रेस ने सौंपे राज्यपाल के नाम ज्ञापन, पुलिस रही मूकदर्शक

शनिवार 08 नवंबर 2025
बैतूल। आमला में आज किसानों की ज्वलंत समस्याओं को लेकर कांग्रेसजनों का आक्रोश फुट पड़ा। मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस ब्लॉक आमला के नेतृत्व में जनपद चौक पर एक जोरदार प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का प्रतीकात्मक पुतला दहन कर सरकार के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली गई। बाद में, किसानों की 10 सूत्रीय मांगों को लेकर राज्यपाल के नाम तहसीलदार को एक ज्ञापन भी सौंपा गया।

मुख्यमंत्री का पुतला दहन कर जताया विरोध:

जनपद चौक पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और किसानों की भारी भीड़ जमा हुई। हाथों में बैनर-पोस्टर थामे और सरकार विरोधी नारे लगाते हुए, प्रदर्शनकारियों ने किसानों की दुर्दशा पर गहरी चिंता व्यक्त की। इस दौरान, आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का पुतला दहन कर सरकार की किसान विरोधी नीतियों पर सीधा हमला बोला। उनका कहना था कि सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति पूरी तरह उदासीन है और उनकी वाजिब मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।

कांग्रेस के सभी विंग्स और प्रमुख नेताओं की उपस्थिति:

इस विरोध प्रदर्शन में किसान कांग्रेस के साथ-साथ ब्लॉक कांग्रेस, महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस और सेवा दल सहित कांग्रेस की विभिन्न विंग्स के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए। पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष हेमंत वागदरे, विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे मनोज मालवी, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मनोज देशमुख और नगर पालिका अध्यक्ष नितिन गाडरे जैसे प्रमुख नेताओं की उपस्थिति ने प्रदर्शन को और अधिक धार दी। सभी ने एक स्वर में किसानों की समस्याओं के त्वरित समाधान की मांग की।

राज्यपाल के नाम सौंपा 10 सूत्रीय ज्ञापन, ये थीं प्रमुख मांगें:

किसान कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष रविकांत उघड़े और जिला अध्यक्ष जगदीश कोचरे के नेतृत्व में तहसीलदार रिचा कौरव को राज्यपाल के नाम एक दस सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में किसानों की प्रमुख मांगों को पुरजोर तरीके से उठाया गया है, जिनमें मुख्य रूप से:
• सोयाबीन का मुआवजा: पीले मोजैक रोग से तबाह हुई सोयाबीन फसलों का तत्काल सर्वे कराकर किसानों को उचित मुआवजा और बीमा लाभ प्रदान किया जाए।
• मक्का का समर्थन मूल्य: मक्का की फसल को तत्काल समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए, ताकि किसानों को लागत मूल्य मिल सके और उन्हें बिचौलियों के शोषण से मुक्ति मिल सके।
• अतिवृष्टि से प्रभावित मक्का: अतिवृष्टि से बर्बाद हुई मक्का की फसल के लिए तत्काल मुआवजा राशि वितरित की जाए।
• रबी फसलों के लिए बिजली: रबी फसलों की सिंचाई के लिए किसानों को कम से कम 10 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए, ताकि उनकी फसलें सूखे की चपेट में न आएं।
• उद्यानिकी फसलों का बीमा: उद्यानिकी फसलों जैसे आलू, मटर, भिंडी और गोभी को भी फसल बीमा योजना में शामिल कर उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा कवच प्रदान किया जाए।

ये मांगें किसानों की तात्कालिक समस्याओं और भविष्य की चिंताओं को दर्शाती हैं, जिन पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया।

पुलिस प्रशासन की भूमिका पर सवाल:

यह उल्लेखनीय रहा कि इस पूरे प्रदर्शन के दौरान पुलिस प्रशासन एक प्रकार से मूकदर्शक बना रहा। पुतला दहन जैसी घटना के बाद, पुलिसकर्मियों ने प्रतीकात्मक रूप से पानी डालकर आग बुझाने की कवायद करते हुए अपनी मौजूदगी दर्ज कराई, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या पुलिस को इस तरह के विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए पहले से कोई ठोस योजना नहीं थी।

आमला में हुए इस प्रदर्शन ने सरकार पर किसानों की समस्याओं के समाधान का दबाव बढ़ा दिया है। कांग्रेस ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि यदि किसानों की मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और भी उग्र रूप ले सकता है।

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