
Lakhimpur Kheri News: क्रेशरों में पड़े ताले, सहालग शुरू होने से किसान परेशान
लखीमपुर खीरी। गन्ना सीजन की शुरुआत और शादी-ब्याह की सहालग के बीच किसानों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गए हैं बंद पड़े क्रेशर। सरकार की नई नीति से नाराज क्रेशर मालिकों ने अपनी फैक्ट्रियों पर ताले जड़ दिए हैं, जिससे किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
क्षेत्र के बजरंग, बाला जी, लक्ष्मी, गणेश और धारीवाल शुगर इंडस्ट्रीज के गेटों पर अनिश्चितकालीन बंदी के पोस्टर चस्पा कर दिए गए हैं। दीपावली के बाद से अब तक पेराई शुरू नहीं हो सकी है। किसान नकद भुगतान के लिए क्रेशरों पर निर्भर रहते हैं, लेकिन सरकार द्वारा ऑनलाइन भुगतान को अनिवार्य करने और टैक्स बढ़ाए जाने के कारण क्रेशर संचालकों ने संचालन बंद कर दिया है।
लक्ष्मी शुगर इंडस्ट्रीज सिसैया के मालिक और क्रेशर एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने कहा कि टैक्स, ऑनलाइन भुगतान और गन्ने के सरकारी भाव पर राहत न मिलने तक क्रेशर संचालन संभव नहीं है। किसानों को नकद भुगतान न मिल पाने से परेशानियां बढ़ गई हैं।
बजरंग शुगर इंडस्ट्री लुधौरी के मालिक सुधीर कपूर ने बताया कि इस बार रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया बदली गई है और टैक्स भी बढ़ा दिया गया है। सरकार चाहती है कि भुगतान पूरी तरह ऑनलाइन हो, जबकि किसानों की सुविधा नकद भुगतान में है। नई नीति में किसान और क्रेशर दोनों का नुकसान हो रहा है।
धारीवाल क्रेशर सिंगाही के मालिक हरप्रीत सिंह धारीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने गन्ने का भाव 355 रुपये तय किया है, जबकि राज्य सरकार ने 400 रुपये कर दिया है। इतने अंतर में क्रेशर चलाना घाटे का सौदा है, क्योंकि तैयार चीनी के दाम नहीं बढ़े हैं।
किसान अमित सिंह ने कहा कि पिछले वर्ष नकद और ऑनलाइन दोनों तरह से भुगतान होता था, जिससे सबकी सुविधा बनी रहती थी। इस बार टैक्स और नई प्रक्रिया के चलते क्रेशर बंद हैं। वहीं, किसान राजेंद्र प्रसाद जायसवाल ने कहा कि मिलों में भुगतान में समय लगता है, जबकि क्रेशरों पर तुरंत पैसा मिल जाता है। बंदी से किसानों की बोआई और गृहस्थी दोनों प्रभावित हो रही हैं।
नतीजा: नई नीति के चलते गन्ना किसानों और क्रेशर मालिकों के बीच असंतोष गहराता जा रहा है, जबकि शादी-ब्याह के सीजन में बंद पड़े क्रेशरों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी असर दिखने लगा है।
विनय मिश्रा
AIMA मीडिया
लखनऊ