
बिहार में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग: लोकतंत्र का अनोखा उत्सव
✍️ लेखक :जयदेव राठी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में मतदाताओं ने एक नया इतिहास रच दिया है। 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर गुरुवार को संपन्न मतदान में कुल 64.66 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई, जो राज्य के आजादी के बाद के सभी चुनावों में अब तक का सर्वोच्च आंकड़ा है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे "लोकतंत्र का गौरवपूर्ण पल" करार दिया। 2000 के विधानसभा चुनाव के 62.57 प्रतिशत के पुराने रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए इस बार के आंकड़े ने राजनीतिक दलों को चौंका दिया है।चुनाव आयोग के अनुसार, कुल 3.75 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने भाग लिया। सबसे अधिक मतदान मीनापुर विधानसभा क्षेत्र में 73.29 प्रतिशत रहा, जबकि दीघा में 39.10 प्रतिशत रहा। महिलाओं और युवाओं की साइलेंट वोटिंग ने इस बंपर टर्नआउट का श्रेय हासिल किया। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में लंबी कतारें देखी गईं, जहां 'पहले मतदान, फिर जलपान' का नारा चरितार्थ हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर अपील जारी कर मतदाताओं को बधाई दी, जबकि विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने इसे "परिवर्तन की लहर" बताया।इस चरण में 1,314 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें तेज प्रताप यादव, सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा जैसे दिग्गज शामिल हैं। 104 सीटों पर सीधा मुकाबला और 17 पर त्रिकोणीय संघर्ष देखा गया। सुरक्षा के मद्देनजर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात रही, और लाइव वेबकास्टिंग से सभी 1,200 मतदान केंद्रों की निगरानी की गई। दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर और ई-रिक्शा जैसी सुविधाओं ने समावेशी वोटिंग सुनिश्चित की।मतदान पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा, हालांकि कुछ जगहों पर तकनीकी खराबी की शिकायतें आईं, जिन्हें तुरंत ठीक किया गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह उच्च टर्नआउट सत्ता परिवर्तन का संकेत हो सकता है। जन सुराज अभियान के संस्थापक प्रशांत किशोर ने इसे "जनता का जनादेश" कहा, जबकि नीतीश कुमार सरकार ने इसे अपनी नीतियों की मुहर बताया।अगला चरण 11 नवंबर को होगा, और नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। बिहार के 7.42 करोड़ मतदाता अब पूरे राज्य को रंग देने को तैयार हैं। यह वोटिंग न केवल रिकॉर्ड तोड़ने वाली है, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक भी। क्या यह बदलाव की शुरुआत है? आने वाले चरण ही बता पाएंगे।
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