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बदलाव की दस्तक बिहार विधानसभा चुनाव 2025 : मोरवा

भारत का लोकतंत्र अपनी विविधता और जटिलता के लिए जाना जाता है। इस व्यवस्था में, केंद्र और राज्य सरकारों का चयन मतदाताओं की अलग-अलग अपेक्षाओं पर आधारित होता है। जैसा कि अक्सर कहा जाता है,
"केंद्र का चुनाव देश हित को ध्यान में रख के और राज्य का चुनाव स्थानीय मुद्दा और समस्याओं को ध्यान में रख के किया जाना चाहिए।" यह सिद्धांत बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में, खासकर समस्तीपुर जिले की मोरवा विधानसभा जैसी सीटों पर, सबसे अधिक प्रासंगिक है।

6 नवंबर 2025 को मोरवा की जनता अपना विधायक चुनने के लिए मतदान करेगी। यह केवल एक राजनीतिक दल या नेता को चुनने का दिन नहीं है, बल्कि अपने घर के आंगन की समस्याओं को हल करने वाले प्रतिनिधि को चुनने का अवसर है।

मोरवा के जागरूक मतदाता इस बात को भली-भांति समझना चाहिए कि विधानसभा चुनाव का मतलब केंद्र की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति या अंतरराष्ट्रीय संबंध नहीं है। यह चुनाव है:

सड़क और कनेक्टिविटी:- क्या मोरवा की सड़कें हर मौसम में आवागमन के लायक हैं?
शिक्षा का स्तर:-क्या स्थानीय सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध है?

स्वास्थ्य सेवाएँ:-क्या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) प्रभावी ढंग से काम कर रहे हैं और शाहपुर पटोरी का अनुमंडलीय अस्पताल आज भी गंभीर बीमारियों के लिए जिला मुख्यालय और PMCH जैसे बड़े हॉस्पिट पर निर्भरता कम हो सकती है?

रोजगार के स्थानीय अवसर:-क्षेत्र के युवाओं के लिए पलायन रोकने हेतु क्या योजनाएँ हैं?

कृषि और बाढ़ की समस्या:-किसानों की समस्याओं, खासकर बाढ़ और जलजमाव, से निपटने के लिए विधायक की क्या कार्ययोजना है?

इन सवालों के जवाब किसी जाति या धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि उम्मीदवार की ईमानदारी, दूरदर्शिता और स्थानीय समस्याओं की गहरी समझ*के आधार पर तय होने चाहिए।

> "एक विधायक का काम दिल्ली या पटना में बड़ी-बड़ी बातें करना नहीं है। उनका काम मोरवा के हर गली-कूचे तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना, स्थानीय समस्याओं को विधानसभा में उठाना और उनका समाधान कराना है। इसलिए, मतदान करते समय मतदाता को पार्टी का झंडा नहीं, बल्कि अपने गांव का भविष्य और शाहपुर पटोरी और ताजपुर नगर परिषद का शहरी क्षेत्र देखना चाहिए।"

मोरवा विधानसभा क्षेत्र की जनता को इस बार एक स्पष्ट संदेश देना होगा:

1. स्थानीय समस्याओं पर फोकस:-उस उम्मीदवार को चुनें जो चुनाव प्रचार में राष्ट्रीय मुद्दों के बजाय मोरवा के नल-जल, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसे मुद्दों पर बात करता है।
2. उम्मीदवार की ट्रैक रिकॉर्ड:- पिछले विधायक (किसी भी पार्टी के) ने क्षेत्र के लिए क्या किया? क्या वर्तमान उम्मीदवार ने अपने पिछले कार्यकाल या सामाजिक जीवन में जनता के लिए काम किया है?
3. जाति-धर्म की राजनीति को नकारें:-विधायक किसी एक जाति या समुदाय का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधि होता है। जाति और धर्म के नाम पर वोट मांगने वाले नेताओं को स्पष्ट रूप से खारिज करें। आपका वोट आपकी बुद्धि और विवेक का प्रतीक होना चाहिए।

इन सब बातों को ध्यान में रखकर निष्कर्ष ये हो सकता है कि

6 नवंबर 2025 का दिन मोरवा के इतिहास में एक नया अध्याय लिख सकता है। यह मतदाता को यह सिद्ध करने का अवसर है कि वह अब केवल भावनाओं और नारों पर वोट नहीं करता, बल्कि तर्क, विकास और स्थानीय आवश्यकताओं पर वोट करता है।

जागरूक नागरिक बनें, सही सवाल पूछें, और पार्टी या व्यक्तिगत लाभ से ऊपर उठकर, केवल मोरवा और बिहार के हित में अपना अमूल्य वोट दें।

मनीष सिंह
शाहपुर पटोरी
@ManishSingh_PT

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