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हाजीपुर में चुनावी सरगर्मी चरम पर: नौकरी, विकास, रोजगार और शिक्षा बने मुख्य मुद्दे, 6 नवंबर को होगा मतदान....

बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होना है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को तो दुसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होना है,वही चुनाव परिणाम 14 नवंबर को आएगा। पहले चरण के मतदान 6 नवंबर को कराने के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। मतदान कर्मियों की तैनाती से लेकर सुरक्षा व्यवस्था तक का खाका खींच दिया गया है। चुनाव आयोग की सख्ती और प्रशासनिक सतर्कता के बीच अब मतदाताओं की निगाहें अपने क्षेत्र के प्रत्याशियों पर टिक गई हैं।
पहले चरण में ही हाजीपुर प्रखंड के पानापुर लंगा पंचायत सहित कई इलाकों में भी मतदान होना है।गांव में चुनावी चर्चा का माहौल है -लोग चौपालों, बाजारों और चाय दुकानों पर आपस में बैठकर उम्मीदवारों के कामकाज और वादों पर खुलकर बातें कर रहे हैं। जहां एक तरफ युवाओं में नौकरी और रोजगार का मुद्दा सबसे ज़्यादा गूंज रहा है, तो वहीं दुसरी ओर अभिभावक बुजुर्गों मे शिक्षा स्वास्थ्य और सड़क जैसे महत्वपूर्ण सेवाओं में और बेहतर सुधार को लेकर उम्मीद लगाए बैठे हैं।
इस बार का चुनाव पुरे बिहार और वैशाली जिला के कई विधानसभा क्षेत्र के साथ-साथ हाजीपुर विधानसभा के लिए काफी खास माना जा रहा है, क्योंकि मुकाबला है सीधा एनडीए के भाजपा प्रत्याशी एवं वर्तमान विधायक अवधेश कुमार सिंह और महागठबंधन के राजद प्रत्याशी देव कुमार चौरसिया के बीच। दोनों ही उम्मीदवार अपने-अपने संगठन की ताकत और क्षेत्रीय समीकरणों पर भरोसा जता रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी अवधेश कुमार सिंह जहां केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाओं को अपने पिछले एंव वर्तमान कार्यकाल में जनता तक पहुँचाने का दावा कर रहे हैं, वहीं महागठबंधन के राजद प्रत्याशी देव कुमार चौरसिया बेरोज़गारी, महंगाई, टुटे फूटे सड़क और जल जमाव जैसे समस्याओं को प्रमुख मुद्दा बनाकर जनता के बीच पहुंचे हैं।
इसके अलावा, कई अन्य राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों और निर्दलीय प्रत्याशियों की मौजूदगी ने इस मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। प्रचार अभियान के दौरान नेताओं ने रैलियों, जनसभाओं और घर-घर संपर्क के ज़रिए मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश की।
4 नवंबर के शाम से प्रचार समाप्त होने के बाद अब चुनावी शोर भले थम गया हो, लेकिन पानापुर लंगा एवं आस पास के पंचायतों के मतदाताओं के मन में सवाल और उम्मीदें दोनों ही गूंज रही हैं। अब सबकी नज़रें 6 नवंबर पर टिकी हैं — जब हाजीपुर की जनता अपने मताधिकार का प्रयोग कर यह तय करेगी कि आने वाले पाँच सालों तक विकास की कमान किसके हाथ में होगी।
अब देखना दिलचस्प होगा कि हाजीपुर की जनता किस प्रत्याशी पर भरोसा जताती है और किसे मिलती है 14 नवंबर को जीत की माला और विधानसभा की कुर्सी।

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