भक्ति की पहचान
भक्ति की असली पहचान – कुल, जाति नहीं, शुद्ध चेतना है
भक्त प्रह्लाद का जीवन हमें यह गहरी शिक्षा देता है कि महानता का आधार न तो कुल है, न जाति, न वंश…सच्ची महानता का मूल है – शुद्ध चेतना, अटूट विश्वास और प्रभु-भक्ति।
प्रह्लाद का जन्म एक असुर कुल में हुआ, उनके पिता हिरण्यकशिपु भगवान के विरोधी थे। फिर भी, प्रह्लाद बचपन से ही अपने इष्ट नारायण में लीन रहे। उन्होंने दिखा दिया कि किसी भी वंश या कुल में जन्म लेने से व्यक्ति की आत्मा का प्रकाश कम नहीं होता— जो ईश्वर को अपने हृदय में धारण करता है, वही सच्चा कुलीन है।
आज के समय का कटु सत्य आज ज़रा-सी कठिनाई आ जाए तो लोग अपने धर्म, अपने इष्ट और अपने संस्कार तक बदल लेते हैं थोड़ा सा धन, बड़ा पद या वैभव मिल जाए तो ईश्वर को याद करने के बजाय भूल जाना आसान लगता है।