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क्या बिहार सरकार भी राज्यथान वाला हादसे_का_इंतज़ार कर रही है?” स्कूल टूटा, बच्चों की ज़िंदगी खतरे में — सुनने वाला कोई नहीं!


बिहार के सुपौल ज़िले के ग्वालपाड़ा पंचायत के Ratansar गांव से जो तस्वीरें सामने आई हैं, वो इंसानियत को झकझोर देने वाली हैं। यहाँ का सरकारी विद्यालय अब जर्जर खंडहर बन चुका है। छत में बड़ा छेद है, दीवारें टूटी हुई हैं, ईंटें झर रही हैं और लोहे की सरिया जंग खा चुकी हैं। कब गिर जाए पता नहीं। फिर भी, बच्चे रोज़ाना इसी इमारत के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

बच्चों की मासूम आँखों में डर है😭— हर पल ये ख्याल कि कहीं ऊपर से छत गिर न जाए।बारिश के दिनों में पानी टपकता है, गर्मी में धूप सीधे क्लास में आती है। बाहर की दीवारों पर “विकास मित्र” का नाम लिखा है, लेकिन असली विकास इन बच्चों के आँसुओं में डूब गया है।

याद कीजिए — हाल ही में राजस्थान में एक स्कूल की छत ढह गई थी, जहाँ कई मासूम बच्चों की जान चली गई थी। पूरा देश दहल गया था, तब कहा गया था कि अब ऐसा हादसा दोबारा नहीं होगा। मगर आज सवाल उठता है — क्या बिहार सरकार और प्रशासन उसी हादसे का इंतज़ार कर रहे हैं?

सरकारी दफ्तरों में योजनाएँ बनती हैं, बजट जारी होता है, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त ये है कि बच्चे टूटी दीवारों और मलबे के बीच ‘शिक्षा’ नहीं, ‘खतरा’ झेल रहे हैं।

👉राजस्थान में जो हुआ, वो हादसा था — अगर बिहार में हुआ, तो वो लापरवाही का गुनाह होगा।”

📢 सवाल:
सरकार और प्रशासन क्यों सोया हुआ है।आजादी के 75 साल बाद भी बच्चे छत के नीचे नहीं, छेद के नीचे पढ़ रहे हैं। क्या ये बच्चों का भविष्य है या उनकी किस्मत पर लगा ताला?

🎙️ रिपोर्टर – [meraj siddiqu]
📍 ग्वालपाड़ा, सुपौल (बिहार)

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