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न्याय की रक्षा, सत्य के लिए संघर्ष और प्रजा का कल्याण ही क्षत्रिय धर्म है -अविराज सिंह सानौधा में क्षत्रिय युवा सम्मेलन

खुरई 2 नवम्बर–उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि, क्षत्रियों के लिए सबसे पहले राष्ट्र और समाज है। हमारा सर्वोच्च बलिदान राष्ट्र की रक्षा के लिए है जिसके लिए हम शस्त्र उठाते हैं। न्याय की रक्षा, सत्य के लिए संघर्ष और प्रजा का कल्याण ही क्षत्रिय धर्म है। स्वयं की रक्षा आत्मरक्षा है लेकिन दूसरों की रक्षा को क्षत्रिय धर्म कहा गया है। क्षत्रियता स्वयं में एक सिद्धांत और विचारधारा है। हमने हमेशा राष्ट्र व देशवासियों के हित के लिए निरंतर संघर्ष किया है। अविराज सिंह ने युवाओं से कहा कि अब हमें शिक्षा, राजनीति, कृषि, व्यवसाय, हर क्षेत्र में आगे बढ़ कर भूमिका निभाना है। इसके लिए हमें नेतृत्व क्षमता, परिश्रम,साहस और संघर्ष के गुणों से काम लेना है। हर परिस्थितियों में मुस्कुराते हुए हम अपनी भूमिका निभाएं तभी हमारा परिवार ,समाज और देश आगे बढ़ेगा। हमारा दायित्व है कि हम सर्व समाज को साथ लेकर आगे बढ़ें हमें ऐसे युवाओं की आवश्यकता है जो जमीन पर उतर कर काम करें और राष्ट्र व समाज को आगे बढ़ाएं।
अविराज सिंह ने युवाओं को फोन एडिक्शन से बचने का सुझाव देते हुए कहा कि युवाओं के लिए मोबाइल फोन एक ऐसी जेल बन गया है जिसे हम अपनी ही जेब में ले कर चलते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे मार्गदर्शक सोशल मीडिया के इन्फ्लुएंसर नहीं बन सकते हमारे मार्गदर्शक स्वामी विवेकानंद जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, भगत सिंह, महात्मा गांधी, पं अटल बिहारी बाजपेयी, पं श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी होने चाहिए।
। उन्होंने कहा कि आज का समय शस्त्रों से नहीं विचारों से लड़े जा रहे युद्ध का है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स, अल्कोहल के अवैध व्यापार से विदेशी कंपनिया जो धन अर्जित करती हैं वह धन हमारे ही देश में लव जेहाद और धर्मांतरण में लगाती हैं। यह सब रोकने के लिए हमें बेचारा नहीं विचारवान बनना होगा।
अविराज सिंह ने अपने उद्बोधन का समापन शिवतांडव स्तोत्र के सस्वर पाठ से किया। सम्मेलन को पूर्व सांसद राजबहादुर सिंह, क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष लखन सिंह , युवा क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह सोलंकी सिगदौनी ने भी संबोधित किया। संचालन शैलेंद्र सिंह बुंदेला ने किया व आभार जिला महामंत्री राहुल सिंह ने व्यक्त किया।

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