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मोरवा(135):चुनावी पारा सातवें आसमान पर ।

पाँच साल जो नज़र न आए, वो आज दर-दर फिरते हैं
ये चुनावी मौसम है 'साहब', जब नेता भी सेवा करते हैं ।

चुनावी रणभेरी बज चुकी है, और समस्तीपुर ज़िले का 135 मोरवा विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर रोमांचक मुकाबले के लिए तैयार है। यह क्षेत्र हमेशा सुर्खियों में रहा है, लेकिन अफ़सोस, हर चुनाव की तरह इस बार भी स्थानीय मुद्दे कहीं पीछे छूट गए हैं।विडंबना यह है कि चुनाव के समय मतदाता पार्टी खेमों में बँट जाते हैं, मुद्दों को भूल जाते हैं, और फिर अगले पाँच साल तक उसी 'लाचार सरकार' को कोसते हैं।

मोरवा विधानसभा के अंतर्गत दो महत्वपूर्ण शहरी क्षेत्र आते हैं: ताजपुर नगर परिषद और शाहपुर पटोरी नगर परिषद । बारिश के मौसम में इनकी स्थिति 'नरक से भी बदतर' हो जाती है।यह साफ दर्शाता है कि शहरी विकास की योजनाएँ ज़मीनी हकीकत से कितनी दूर हैं।

शाहपुर पटोरी अनुमंडलीय अस्पताल का इमारत तो शानदार है, पर मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। न लेडीज डॉक्टर हैं, न बच्चों के विशेषज्ञ । छोटी-छोटी बीमारियों पर भी मरीज़ों को रेफर कर दिया जाता है—एक ऐसा संकट जो ग्रामीण जनता को शहर की ओर धकेलने पर मजबूर करता है।

गुलाब बूबना हाई स्कूल, पटोरी आज़ादी के समय का यह प्रतिष्ठित संस्थान ख़ुद आज़ादी के बाद से उपेक्षित है। इसकी बिल्डिंगें टूटी हुई हैं और छात्रों की संख्या के अनुपात में क्लास रूम उपलब्ध नहीं हैं। शिक्षा के मंदिर का ऐसा हाल भविष्य पर एक प्रश्नचिह्न है।

यातायात या जाम की जंज़ीरें :

पुरानी बाज़ार से चंदन चौक और सिनेमा चौक मार्केट तक हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। इसका मुख्य कारण चंदन चौक रेलवे क्रॉसिंग है, जो इस क्षेत्र का एक बड़ा और अनसुलझा मुद्दा बना हुआ है। रोज़ाना की यह समस्या जनता के समय और सुविधा को निगल रही है।

चुनावी रण और दिग्गजों की टक्कर :

मोरवा की लड़ाई इस बार बहुकोणीय और दिलचस्प होने वाली है, जहाँ पारंपरिक दाँव के साथ-साथ **सिम्पैथी और युवा शक्ति** भी निर्णायक भूमिका में है।

जनता दल यूनाइटेड (JDU) विद्या सागर निषाद मुख्यमंत्री की महिला कल्याणकारी योजनाओं से प्रभावित निर्णायक महिला वोटर इनका सबसे बड़ा आधार हैं। |
राष्ट्रीय जनता दल (RJD)रणविजय साहू (वर्तमान विधायक) उनका पारंपरिक जातीय वोटर जो शुरू से ही पार्टी का वफादार रहा है, राजद का मुख्य स्तंभ है।
जन सुराज से डॉ. जागृति ठाकुर जो जननायक कर्पूरी ठाकुर की पोती होने का सियासी लाभ लेना चाहती हैं हालांकि,मोरवा में उनकी अनुभव और बाहरी छवि एक चुनौती है।

निर्दलीय जो पिछली बार LJP के तरफ से खड़े थे *अभय कुमार सिंह* उनको जेन-जी के युवा समर्थक इनकी सबसे बड़ी ताकत हैं। सालों की मेहनत और LJP टिकट न मिलने पर सोशल मीडिया पर दिया गया भावुक बयान युवाओं में गहरी सहानुभूति (सिम्पैथी वोट) पैदा कर रहा है।
आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार भी एक नई पार्टी के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।

RJD और JDU: यह टक्कर हमेशा की तरह पारंपरिक जातीय समीकरण (RJD) बनाम सरकारी योजनाओं के लाभार्थी (JDU) की है, जो इस सीट पर बहुमत का निर्धारण करेगी।

अभय सिंह का 'यूथ सिम्पैथी': अभय सिंह का निर्दलीय लड़ना, उनके भावनात्मक बयान और सालों से युवाओं के लिए उनका संघर्ष एक महत्वपूर्ण कारक है। युवा समर्थक खुद फंड जमा कर रहे हैं, जो एक गहन जुड़ाव दर्शाता है। यह सिम्पैथी वोट बैंक को तोड़कर निर्णायक साबित हो सकता है।

कर्पूरी ठाकुर की साख पर दाँव: डॉ. जागृति ठाकुर के सामने सबसे बड़ी चुनौती है 'मोरवा को न समझने' की। केवल दादा जी की विरासत पर वोट मांगना काफी नहीं होगा, उन्हें स्थानीय मुद्दों पर अपनी पकड़ दिखानी होगी।

निष्कर्ष: क्षेत्र का दुर्भाग्य

इन सारे राजनीतिक खींचतान और भावनात्मक दाँव-पेंच के बीच, मोरवा क्षेत्र का विकास मुद्दा कहीं भी प्रमुखता से दिखाई नहीं दे रहा है। स्थानीय लोगों का यह दुर्भाग्य है कि हर चुनाव में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, और जल निकासी की मूलभूत समस्याओं को ताक पर रखकर, वे केवल पार्टी या व्यक्ति के प्रति अपनी वफादारी सिद्ध करते हैं।
"क्या यह चुनाव मोरवा के विकास को 'वोट' देगा, या फिर एक बार फिर 'सिर्फ नेता' को" ? यह देखना बाकी है।

:लेखक के निजी राय

मनीष सिंह
शाहपुर पटोरी
@ManishSingh_PT

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1 comment  
  • Purushottam Jha

    सिर्फ वोट लेने आते नेता