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क्या आप जानते हैं? बर्बाद कर देता है अग्नि कोण और उत्तर दिशा का वास्तु दोष (



आचार्य अजय कुमार). हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि वह जीवन में बहुत उन्नति करें उसके लिए वह जीवन में अथक प्रयास भी करता है किंतु अज्ञानता वस निवास स्थान या कार्य स्थल पर हो जाने वाला वास्तु दोष किसी भी व्यापारी के जीवन को बर्बाद कर सकता है वास्तु शास्त्र के अनुसार दो मुख्य दिशाएं हैं जो जीवन में प्रगति के लाने के लिए सहायक होती है पहले मुख्य दिशा परिसर का अग्नि को होती है यही वह दिशा है जो व्यापार में नकद धन प्रवाह की व्यवस्था करती है तथा वित्तीय स्थिरता प्रदान करती है अग्नि कोण में अग्नि की ऊर्जा तथा शुक्र ग्रह की ऊर्जा होती है यह रजोगुण का स्थान है किसी भी कार्य को परिणाम तक ले जाने की ऊर्जा इसी स्थान से आती है किंतु इस स्थान पर वास्तु दोष जैसे टॉयलेट, गड्ढा, बोरिंग, सेप्टिक टैंक तथा जल भरावकी व्यवस्था हो जाने से यह एक बहुत बड़ा वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है उसे परिसर में निवास करने वालों की ऊर्जा समाप्त होने लगती है आत्मविश्वास की कमी, दिमाग में नकारात्मक विचार ,मन में हर समय भय उत्पन्न होना तथा अचानक धन की आवा जाहि काम होना इसका मुख्य लक्षण है. अग्नि कोण में वास्तु दोष उत्पन्न होने पर बड़े-बड़े व्यापारी कर्ज के दलदल में डूब जाते हैं तथा एक कर्ज उतारने के लिए दूसरा और दूसरा कर्ज उतारने के लिए तीसरा कर्ज लेना पड़ता है और परिणाम स्वरुप व्यापार डूब जाता है और व्यापारी बर्बाद हो जाता है किंतु कर्ज नहीं उतर पाता ऐसे व्यक्तियों की कुंडली में अक्सर शुक्र गृह खराब स्थिति में पाया जाता है. दूसरी मुख्य दिशा उत्तर दिशा को माना गया है यह व्यवसाय में अवसर प्रदान करने वाली दिशा है परिसर का जैसा वास्तु दोष होता है उसमें रहने वालों की की मनोस्थिति इस प्रकार की हो जाती है किंतु यह सब मनुष्य के कर्म तथा कुंडली के ग्रहों की स्थिति के कारण होता है उत्तर दिशा में गंभीर वास्तु दोष हो जाने पर बुध ग्रह खराब होने लगता है तथा खराब परिणाम देने लगता है परिणाम स्वरूप व्यापार में अवसरों तथा ग्राहकों की कमी होने लगती है इस दिशा में वास्तु दोष का प्रमुख लक्षण व्यापार में ग्राहकों की कमी परिवार में बहन, बेटी एवं बुआ आदि के जीवन में गंभीर परेशानियां होती हैं क्योंकि इन सब का संबंध उत्तर दिशा तथा बुद्ध रहते माना जाता है. कर्मों के हिसाब से ही व्यक्ति का जीवन निर्धारित होता है वास्तु प्रकृति का एक अस्त्र है इसलिए किसी भी व्यापारी इंडस्ट्रियलिस्ट को बिना वास्तु शास्त्र को समझें निर्माण नहीं करना चाहिए कई बार देखने में आता है की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां या व्यापार चलते-चलते बंद हो जाते हैं तथा उनकी नीलामी तक की स्थिति आ जाती है इसका मुख्य कारण परिसर में उत्पन्न वास्तु दोष ही होता है क्योंकि दिशाओं का गलत आकलन करके निर्माण कर दिया जाता है जबकि दिशाओं का निर्धारण 16 दिशाओं का वास्तु मानचित्र बनाकर ही किया जा सकता है

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