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दिल्ली में दरिंदगी की हद पार: 12 साल की मासूम से रेप के बाद हत्या — लेकिन बिहार का नेता खामोश


नई दिल्ली, 29 मई 2025:
दिन के लगभग 1:30 की घटना है।
राजधानी दिल्ली के बिहार की 12 साल की रेफ़ और हत्या, एक शांत इलाके में उस समय हड़कंप मच गया जब 12 साल की मासूम की बच्ची का रेफ़ हत्या कर के शव उसके ही घर में फांसी के फंदे में डाल कर बेड पे लेटा दिया।
यह वारदात इतनी दर्दनाक थी कि जिसने भी सुनी, उसकी रूह कांप गई।
और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह घटना थाने से महज़ कुछ ही कदम की दूरी पर हुई।

बच्ची की मां ने बताया कि बच्ची की तबियत खराब थी। बच्ची को बोला गया खाना खा कर अपनी रूम में आराम करो बच्ची गेट सटा कर आराम करने लगी
मां कुछ समय के लिए दवा लेने और काम की तलाश में बाहर गई थीं। बंकी बच्चे रोड पे खेल रहे थे।
जब लौटकर आईं तो उनकी दुनिया उजड़ चुकी थी — बच्ची का शव कमरे में बेड पे लेटा हुआ था।
मां को तुरंत अंदाज़ा हो गया कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या है।
क्योंकि कमरे में संघर्ष के निशान और बिखरी हुई चीज़ें साफ़ दिख रही थीं। और सर पे चोट का निशान

पीड़िता का परिवार मूल रूप से बिहार के सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज बाजार का रहने वाला है।
पिता का निधन करीब दस साल पहले हो गया था।
मां दिल्ली में मजदूरी करके अपने चार छोटे बच्चों का पालन-पोषण कर रही थीं। और पढ़ा रही थी।
परिजनों ने आरोप लगाया कि आरोपी व्यक्ति ने पहले बच्ची के साथ दरिंदगी (यौन शोषण) की,
फिर गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और घर से समान लुट कर ले गया ,

पुलिस ने एफआईआर संख्या 380/2025 दर्ज की है।
इसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103(1) और POCSO Act की धारा 6 लगाई गई है।
लेकिन परिवार का आरोप है कि पुलिस ने अभी तक हत्या (धारा 101) और लूट (धारा 309) की धाराएँ नहीं जोड़ी हैं,
जबकि आरोपी के खिलाफ पहले से कई आपराधिक रिकॉर्ड हैं। फिर भी अपराधी खुली धड़ल्ले घूम रहा था, साथ ही जिस मकान में रह रहा था, उस मकान का मालिक बेगार कागज जांच के पैसा के लालच में अपना मकान में शरण दे रखा था।

मां और परिजनों की एक ही मांग है —
जब तक इंसाफ नहीं मिलेगा मेरी बेटी को,कातिल को जब तक फांसी नहीं हो जाएगा तब तक शांत नहीं बैठेंगे।

हम गरीब हैं, लेकिन हमारी बच्ची के क़ातिलों को फ़ाशी मिलनी चाहिए।
यह सिर्फ मेरी बेटी की बात नहीं, हर गरीब बच्ची की इज़्ज़त और सुरक्षा का सवाल है।”

अब बिहार में #jastic for afreen की आवाज गूंज रही है।

इलाके के लोग भी गुस्से में हैं।
सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरकर “बेटी को इंसाफ दो, दरिंदे को फांसी दो” के नारे लगा रहे हैं।
इस बीच, द्वारका कोर्ट में सुनवाई चाल रही है। परिवार जानो का कहना फास्ट ट्राइल चले, मामले की सुनवाई जल्दी हो,
कोर्ट ने पीड़िता की मां को मुख्य गवाह (Witness) के रूप में बुलाया है।

यह घटना राजधानी में पुलिस सुरक्षा और न्याय प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाती है।
थाने से कुछ ही कदम की दूरी पर मासूम की हत्या — यह सिर्फ एक केस नहीं,
बल्कि हमारे समाज और सिस्टम की सच्चाई का आईना
दिल्ली में एक बिहार की मासूम बेटी की निर्मम हत्या के बाद भी बिहार की सियासत खामोश है। जिस बेटी ने गरीबी में पलकर मां के संघर्ष को देखा, आज उसके साथ हुई दरिंदगी पर किसी भी नेता ने एक शब्द तक नहीं बोला। यह चुप्पी इंसानियत पर सवाल उठाती है। बिहार के नेता सत्ता की कुर्सी की लड़ाई में व्यस्त हैं, लेकिन जब दिल्ली में बिहार की एक बेटी के साथ हैवानियत हुई, तब किसी ने न इंसाफ़ की बात की, न सांत्वना दी। मां मजदूरी कर बच्चों को पाल रही थी, अब वह अपनी बेटी की लाश के साथ अकेली न्याय की लड़ाई लड़ रही है। दिल्ली में वारदात, बिहार में सन्नाटा — यह केवल एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि पूरे बिहार की असली तस्वीर है, जहाँ अपने लोगों की पीड़ा पर नेताओं की संवेदनाएँ भी मर चुकी हैं।

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