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यह एक सच्ची बात है इस यह जो जमाना चल रहा है

"खुद की पहचान" यानी असली व्यक्तित्व, मेहनत, और सच्चाई से बनती है। आज के दौर में लोग सोशल मीडिया के "फिल्टर" से अपने चेहरे तो चमका लेते हैं, लेकिन उनके किरदार (चरित्र, स्वभाव, ईमानदारी) वैसे ही रहते हैं। यानी बाहरी दिखावे से नहीं, बल्कि भीतर की सच्चाई से असली पहचान बनती है।

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