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नए' राजे सुल्तानपुर में 'पुराने' खेल: निर्दलीय अध्यक्ष और माफियाओं की जंग


अंबेडकर नगर की नवसृजित नगर पंचायत राजे सुल्तानपुर में, एक नए और निर्दलीय नेतृत्व को पुराने निहित स्वार्थों और भ्रष्ट गठजोड़ से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
नगर पंचायत के पहले अध्यक्ष विनोद प्रजापति (निर्दलीय) ने स्थानीय दलालों, माफिया तत्वों और उनके समर्थक सभासदों के अवैध हस्तक्षेप पर अंकुश लगाना शुरू कर दिया है। शुरुआत में उनकी कथित 'अनुभवहीनता' का फायदा उठाने का प्रयास किया गया, लेकिन अध्यक्ष प्रजापति ने तेजी से प्रशासनिक बारीकियों को समझा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए। इस पहल ने वर्षों से चली आ रही 'दलाली' और 'अवैध मनमानी' के गठजोड़ को सीधे चुनौती दी।
माफियाओं का संगठित पलटवार:
जैसे ही अध्यक्ष विनोद प्रजापति और अधिशासी अधिकारी (EO) लक्ष्मी चौरसिया ने इन प्रभावशाली तत्वों की मनमानी रोकी, इन दलाल सभासदों और माफियाओं ने संगठित होकर विरोध शुरू कर दिया।
उन्होंने जिला मुख्यालय, जिलाधिकारी अंबेडकर नगर के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया और अध्यक्ष तथा ईओ पर वित्तीय घोटाले के गंभीर आरोप लगाए।
इन आरोपों के आधार पर प्रशासनिक जाँच की प्रक्रिया भी शुरू करा दी गई है।
पत्रकार पड़ताल से खुलासा:
भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ, आलापुर की संवाददाता रीना गुप्ता की गहन छानबीन में विवाद की असली प्रकृति सामने आई है:
विरोध का मूल कारण: स्थानीय माफिया और दलाल अब नगर पंचायत के काम-काज में अपनी मनमानी नहीं कर पा रहे हैं, न ही अपने अवैध हितों को साध पा रहे हैं।
षड्यंत्र का उद्देश्य: सीधे रास्ते से काम न बनने पर, अधिकारियों को बदनाम करने और उन पर मानसिक दबाव तथा भावनात्मक ब्लैकमेल बनाने का रास्ता चुना गया है।
अंतिम लक्ष्य: अधिकारियों को डराकर अपने कड़े रवैये से पीछे हटने और 'पहले की तरह' हस्तक्षेप की छूट देने के लिए मजबूर करना है।
यह मामला सत्ता और पैसे के पुराने गठजोड़ की तरफ से ईमानदार प्रशासन को दी गई खुली चुनौती को दर्शाता है। नगर पंचायत की प्रगति अब इस बात पर निर्भर करती है कि प्रशासनिक जाँच इन आरोपों की सच्चाई को कितनी निष्पक्षता से उजागर करती है।

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