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अष्टानिका महापर्व आरम्भ

यह पर्व नंदीश्वर द्वीप पर देवताओं द्वारा किए जाने वाले आठ दिवसीय अभिषेक और पूजा के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। चूंकि मनुष्य नंदीश्वर द्वीप तक नहीं जा सकते, वे मंदिरों में पूजा और अनुष्ठान करते हैं।
आध्यात्मिक विकास: यह पर्व भक्तों को आत्मा की शुद्धि के लिए प्रेरित करता है। इस दौरान वे ध्यान, उपवास, धार्मिक ग्रंथों का पाठ और दान-पुण्य करते हैं।
आत्म-नियंत्रण और आत्म-साक्षात्कार: यह पर्व बुरी आदतों, विचारों और कर्मों से मुक्ति पाने का अवसर प्रदान करता है और आत्मा की शुद्धि पर ध्यान केंद्रित करता है।
सिद्धचक्र विधान: अष्टान्हिका पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सिद्धचक्र महामण्डल विधान है, जो सिद्धों की पूजा और आराधना का एक अनुष्ठान है। इसके माध्यम से भक्त सांसारिक विषयों से वैराग्य और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करते हैं।
तीर्थ यात्रा का प्रतीक: इस पर्व को एक तीर्थ यात्रा के रूप में भी देखा जाता है, जिसमें श्रावक घर-परिवार की चिंताओं से दूर होकर तीर्थ स्थानों पर जाकर पर्व का आनंद लेते हैं।

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