
कलेक्टर की अध्यक्षता में खाद, बीज, नरवाई प्रबंधन एवं सामाजिक विषयों पर जनप्रतिनिधियों के साथ कार्यशाला संपन्न मुरैना मध्यप्रदेश
कलेक्टर की अध्यक्षता में खाद, बीज, नरवाई प्रबंधन एवं सामाजिक विषयों पर जनप्रतिनिधियों के साथ कार्यशाला संपन्न
पोषण तत्वों की मात्रा फसलों में उतना ही डालें, जितना फसल को आवश्यकता
डीएपी के अलावा एनपीकेएस उतना ही असरदार
किसान की फसल दोगुनी हो और खेती के साथ-साथ उद्यानिकी, दुग्ध उत्पादन से खेती लाभ धंधा बने, इस उद्देश्य से कलेक्टर श्री लोकेश कुमार रामचन्द्र जांगिड़ की अध्यक्षता में शनिवार को खाद, बीज, नरवाई प्रबंधन एवं सामाजिक विषयों पर जनप्रतिनिधियों के साथ कार्यशाला संपन्न हुई।
कार्यशाला में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री कमलेश कुमार भार्गव, अम्बाह विधायक श्री देवेन्द्र सखवार, समाजसेवी श्री कमलेश कुशवाह, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री बनवारी लाल धाकड़, मुरैना जनपद अध्यक्ष श्री मोहर सिंह कंषाना सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक तथा संबंधित विषय विशेषज्ञ, कृषि वैज्ञानिक एवं उद्यानिकी, कृषि और पशुपालन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
कलेक्टर श्री लोकेश कुमार रामचन्द्र जांगिड़ ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पराली को खेतों में न जलाने के लिए बार-बार स्मरण कराया जा रहा है। इस संबंध में जिले में समस्त किसानों से आग्रह किया गया है कि वे पराली को खेतों में जलाने से होने वाले नुकसान को समझें। उससे जमीन की परत कड़क हो जाती है, भूमि में उर्वरक शक्ति कम हो जाती है। भूमि में पोषक तत्व नष्ट हो जाते है। बरसात का पानी पूरी तरह से खेत की जमीन में नहीं पहुंच पाता है। इसलिए आने वाले समय में सिंचाई स्त्रोत भी दम तोड़ देते है। इसलिए खेतों में पराली न जलाएं। कलेक्टर ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रदान देश है। इसमें हर किसान को खेती में कितनी उर्वरक की आवश्यकता है, यह हमारे आरईओ अवगत करायें। उन्होंने उप संचालक कृषि को निर्देश दिये कि आरईओ ब्लॉक स्तर पर इस प्रकार कार्यशाला आयोजित करें, जिसमें ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों को आमंत्रित करें। उन्होंने कहा कि आरईओ जब किसानों को सलाह दें, उस समय जीओ टेग फोटो भेजें।उन्हांेने कहा कि उप संचालक स्वयं वीडियो कॉलिंग करें और मेरे द्वारा भी संबंधित आरईओ को वीडियो कॉलिंग करके चर्चा करूंगा। कलेक्टर ने कहा कि कृषक प्राकृतिक खेती के लिए अग्रसर हों। इसके लिए पंजीयन कार्य कराएं जा रहें है। जिले में कृषि सखियों को प्रशिक्षण दिया गया है।
उनके द्वारा प्राकृतिक खेती पर प्रयोग किया जायेगा। जिसमें किसी प्रकार के रासायनिक खाद का उपयोग नहीं होगा।
सहायक कृषि यंत्री श्री अखिलेष सोलंकी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि किसान खेत में पराली न जलाएं। पराली जलाने से फसल उगाने में कई नुकसान होते है। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा ’’जे फार्म एप’’ कृषकों के लिए लाभदायक है, इस पर जानकारी अपलोड करने से कृृषि के उपकरण सब्सिडी पर प्राप्त होते है। जिनमें हार्वेस्टर, सुपर सीडर यह केन्द्रीय कृत प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदाय करने की सुविधा है।
उन्होंने कहा कि सुपर सीडर से खाद, बीज एक साथ बोया जाता है और नरवाई भी एक साथ नष्ट होती है। इसलिए खर्च भी कम आता है। इस पर 25 प्रतिशत सब्सिडी शासन द्वारा प्राप्त हो रही है। इसके लिए सहायक यंत्री श्री अखिलेष सोलंकी के मोबाइल नंबर 7898502498 पर संपर्क किया जा सकता है।
रासायनिक खाद का कम उपयोग करें
जितना डीएपी असरदार, उतना ही एनपीकेएस
कार्यशाला को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. संजीव सिंह तोमर ने बताया कि किसान डीएपी के लिए नहीं भागे, डीएपी के अलावा एनपीकेएस भी उतना ही प्रभावशाली है, जितना डीएपी है। उन्होंने कहा कि जिले में खाद की कमी नहीं है। जमीन की आवश्यकतानुसार फसल में पोषक तत्व डाले। पौधे में नत्रजन, फास्फोरस और पोटास की आवश्यकता होती है।
डॉ. तोमर ने बताया कि सरसों के लिए एसएसपी खाद बेहतर है। यह संदेश अंतिम किसानों तक इस कार्यशाला के माध्यम से पहुंचे। उन्होंने बताया कि गेंहू के लिए भी कम से कम खाद का उपयोग करें। गेंहू में पोटास की मात्रा अधिक देनी चाहिए, जो एनपीकेएस में उपलब्ध है। गेंहू में जरूरत हो तो बुबाई के समय प्रति बीघा में जिंक सल्फेट दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक ब्लॉक में लैब संचालित है, किसान मिट्टी का परीक्षण कराएं।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए सहायक संचालक उद्यानिकी ने बताया कि आमदनी दोगुनी करने के लिए किसान उद्यानिकी फसलें लगाएं, उसमें शासन द्वारा फूड प्रोसेसिंग पर सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इसके लिए ऋण प्राप्त करने का प्रावधान है। जिसमें मसाला, चिप्स, आटा चक्की आदि के लिए ऋण लिया जा सकता है।
कार्यशाला में नूरावाद पॉली हाउस के सहायक संचालक ने भी अपनी विभागीय योजनाओं की जानकारी दी।
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